फासले


ये जो फासले है तेरे मेरे दरमियां,
यूँ तो इसकी कोई ऐहमियत नहीं,
मेरे नजरों में। 

पर जाने क्यों तूने इस फासलों को,
अपने बीच की दीवार बना दी,
कि मुझे मेरी नजरों में ही गिरा दिया।

यूँ तो किसी की बातों का कोई असर मुझ पे होता नहीं,
पर जो तूने प्यार से कहे वो कड़वे शब्द थे ,
उन्हें भुला मैं पाती नहीं।

जाने वजह क्या हुई,
कि तूने भी मुँह मोड़ लिया,
जो किया वादा था वो तोड़ दिया।

जो सपने तूने मुझे दिखाए थे,
सातों जन्म साथ रहने के वादे जो कराए थे,
सब चकना चूर हो गए।

जाने क्यों ये फासले आए तेरे मेरे दरमियान,
कि तू तू ना रहा,
मैं, मैं ना रही
अपना प्यार, प्यार ना रहा। 

इस फैसले कि कसौटी पे,
टूटा अपने प्यार का दामन,
छूटा अपना अस्तित्व।

ना रोये कुछ होए,
ना पछताये कुछ होए,
जो रिश्ता टूट गया,
ना उससे धरे कुछ होए।

सब कुछ तो छूट गया,
जो था वो टूट गया,
रह गए बस ये फासले।।।

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