किस्मत
रचने वाले ने,
क्या खूब किस्मत रचि है मेरी…
सारे संसार का भार ला रखे
इन कंधों पर मेरी…
कभी जिगर का टुकड़ा बना रखा,
तो कभी पराया धन केह खुद से दूर किया..
कभी लक्ष्मी बना मेरा स्वागत किया,
तो कभी पराए घर से आई केह अपमान किया..
कभी रानी केह सर का ताज़ बनाया,
तो कभी मुझे रंक से बत्तर समझा गया..
कभी मुझे माँ का दर्जा (भाभी) दिया गया,
तो कभी घर तोड़ने का इल्ज़ाम लगाया गया..
क्या खूब किस्मत है मेरी..
हर बार कसौटी पे मुझे ही खरा किया गया,
हर बार मेरी ही परिक्षा ली गयी,
हर बार मेरी ही बातों को दबाया गया,
फ़िर भी खुश रहने की उम्मीद की गयी..
शायद,
ये तो उस रचने वाले ने भी ना सोचा होगा,
कि
मुझे दो घर देके, वो एक दिन मुझे दोनों घर से कभी बेगाना पाएगा..
शायद,
वो भी इस पछतावे में होगा,
क्यूँ ऐसी किस्मत बनाई उसने मेरी,
सारा संसार मुझी से,
और मैं ही कहीं नहीं...
- Anamika
….
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