Tandav
मैं खिला हूं राख में, मैं खिला हूं आग में
मैं क्षत्रियों का अंश हूं, मिटा दूंगा हर दाग मैं
लावा बनकर मैं बरसूंगा, मैं तांडव कर जाऊंगा
सौगंध ली इस मिट्टी की, इस देश पर मर जाऊंगा
फिर लहू गिरे या अश्रु बहे, या फिर हाहाकार मचे
देश मेरा सर्वोच्च रहे, मैं ऐसा कुछ कर जाऊंगा
तुम आग मुझे तब ही देना, जब सीने में भी हो वही
फिर ये बात मेरी सदियों चले, भारत अमर रहे यूंही
~TallGuy
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