मधुर पुकार

•    द्वितीयः   •

जे सावरे तेरौ अखन,

बिन शब्द मो से कथन,

गवई मे तोहि साथ जाइयो,

हर बात गुंटा के किनारे बताइयो।

जे सावरे तेरौ अखन,

बिन शब्द मो से कथन,

मो सेवक को करो नाही हलकान,

मोहि दो दर्शन जे रहे स्मरन,

ललित तेरो पुकार बोलायो,

अब मोए से न रोको जाइयो ।।

मो ते वृंदावन आइयो।

• • •

गवई - छोटा गांव

गुंटा - तालाब

हलकान - परेशान

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