सपना हो तुम

एक हसीन सपना हो तुम
मेरे दिल की आरज़ू हो तुम
सपनों की दुनिया में मिलती हूँ तुमसे
हज़ारों गिले शिकवे करती हूँ तुमसे

जब तुम चाहते हो सपनों में आते हो
जब तुम चाहते हो नींद चुराते हो
इतना सताते ही तुम क्यों
कभी सपनों की दुनिया से निकलके सामने तो आया करो

तुमसे मिलने के लिए नींद को बुलाना पड़ता है
ज़ालिम नींद भी आने भी देरी करता है
किसी रात को ना मिले तुम कभी
सराना मेरा आँसू से धूल जाया करता है

सपना हो तुम मेरा
ज़िन्दगी क्यों नहीं बन जाते
मेरे दिल को तोड़ा सुकून क्यों नहीं दे देते!

- पलक

धन्यवाद

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