नारी - माँ
अपनी सहजता से रिश्तों को जोड़ के रखती है
लब पर हंसी दिल में आँसू लिए चलती है
उम्र भर घर संभालने की ज़िम्मेदारी लेती है
एक नहीं दो घर के रिश्तों को निभाती है II
कोमल से दिल में राज़ छुपाती है
देती है सब बदले में दो पल प्यार के चाहती है
कभी शिकायत नहीं करेगी
रात में छुपके से रो देगी II
अगली सुबह फ़िर से ज़िम्मेदारी निभाएगी
शक्ति होती है तो सफलता की वजह भी
बच्चों को लाड़ करने वाली तो ग़लती पर डांटने वाली
दिल से शीतल होती है तो सहनशीलता की मुत्त
ऐसी होती है माँ हमारी, ऐसी होती है एक नारी II
_पलक
Bạn đang đọc truyện trên: AzTruyen.Top