दोस्तों से....
दोस्तों से
कह दिया
तुमसे नफ़रत है
मगर....
दिल में चाहत है
ये गुस्सा ये ख़ामोशी
तुम्हारे दिए ज़ख़्म भरते नहीं
आज भी तुम्हारा खयाल मौजूद है
आज तुझे मेरी ज़रूरत नहीं
मैं तुझे याद नहीं
पर मैं कैसे भूल जाऊँ तुझे
दर्जा जो तेरा माँ का था
ये फासले तेरे गलत फैसले से मिले
अपना सोचा तुने पर मुझे समझा नहीं
माना मैं तेरी उम्र की नहीं
पर रिश्ता तो गहरा जोड़ा तुझसे
तुम्हारे उम्र के दोस्त सही
मैं नादां हूँ तो गलत हो गई
तेरी हर बात सही लगी जबतक गलतियाँ मेरी बतायी
पर जब तूने फैसले लिए मुझसे जुड़े
मैं तब टूट गई
बदल दिया मुझे फ़िर भी चुप रही
ले तो आए मेरे जैसे नादां
पर वो मैं नहीं
नहीं मानी तुमने अपनी गलती फिर भी कोई गिला किया नहीं
बेवकूफी हमारी देखो आज भी उम्मीद रखते है तुम्हारे लौटने की
अंजान हो शायद मेरे हालातों से
या हम तुमसे कुछ ज़्यादा उम्मीद लगा बैठे?
ये हंसी मज़ाक़ तो बस बहाना है
तुम्हारे ख़्यालों से दूर रहना का
ये मुस्कराहट तो सिंगार है
जो हर गहरा ज़ख़्म छुपा देती है मेरा!
_ पलक _
उम्मीद है आप सबको पसंद आई होगी..
धन्यावाद
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