5.
फ़क्त तेरे इंतेज़ार में ये जो निग़ाहें इस क़दर,
बरसती हैं सूखती हैं, बरसती हैं सूखती हैं,
तो अब दिखा थोड़ा ऐतबार और आ भी जा ना,
कि कब तलक ये बाढ़ का मौसम यहाँ,
यूँ हीं बना रहेगा ?
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फ़क्त तेरे इंतेज़ार में ये जो निग़ाहें इस क़दर,
बरसती हैं सूखती हैं, बरसती हैं सूखती हैं,
तो अब दिखा थोड़ा ऐतबार और आ भी जा ना,
कि कब तलक ये बाढ़ का मौसम यहाँ,
यूँ हीं बना रहेगा ?
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