जिद
आज वीर और काव्या घर से भागकर शादी करने वाले थे, काव्या जामनगर छोड़कर राजकोट की कोर्ट पहुंची, कुछ मिनट बाद वीर भी आ गया. ये दोनों की पहली मुलाकात कही जा सकती है, क्योंकि वे पहले कभी नहीं मिले थे। हैरान करने वाली बात तो ये है कि पहली मुलाकात में भी ये शादी सफल हो जाती है!
जी हां, काव्या और वीर की मुलाकात फेसबुक पर हुई थी, पहले तो दोनों दोस्त बने लेकिन धीरे-धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों ने एक दूसरे को देखे बिना ही प्यार कर लिया था। इसे 'अंधे प्यार' का सबसे अच्छा उदाहरण कहा जा सकता है।
जब कोई व्यक्ति अकेला होता है तो वह किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में रहता है जो उसकी मदद कर सके और आज के सोशल मीडिया के जमाने में तो बस एक रिक्वेस्ट भेजें, अगर स्वीकार हो जाए तो मैसेज भेज दें और अगर जवाब मिल जाए तो फिर बात ही मत पूछो!
वीर के वकील ने सारे दस्तावेज भी तैयार कर लिए थे. वीर और काव्या कोर्ट पहुंचते हैं, दोनों का कभी आमना-सामना नहीं हुआ था, फेस टू फेस बात नहीं हुई थी कभी, काव्या बहुत डरी हुई थी।
यह एक लड़की के लिए बहुत गंभीर बात कही जाती है, क्योंकि काव्या अपने परिवार की इकलौती बेटी थी और वह अपने पापा से बहुत प्यार करती थी। वह बस उन सबको छोड़कर वीर की बनना चाहती थी। जिसे वह ठीक से जानती भी नहीं थी। 2 साल में काव्या और वीर का प्यार इतना परवान चढ़ गया कि वो इतना बड़ा कदम उठाने को तैयार हो गए।
आज वीर की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, आख़िरकार वह जिससे प्यार करता था उससे शादी करने जा रहा था। लेकिन काव्या! काव्या बहुत दुखी थी। उसके दिमाग में सिर्फ अपने परिवार के ख्याल ही घूम रहे थे। वकील ने उन दोनों को बुलाया तो उसकी आँखों से आँसुओं की धार बहने लगी। वीर ने उससे पूछा, "काव्या, क्या हुआ?"
काव्या ने कुछ ऐसा कहा कि वीर का दिल टूट गया, "वीर, मुझे माफ कर दो लेकिन मैं शादी नहीं करना चाहती, मैं घर जाना चाहती हूं" वीर ने कहा, "तुम्हें मैं पसंद नहीं हूं? काव्या ने कहा, "नहीं नहीं वीर मैं मेरा मतलब यह नहीं है, मैं सिर्फ तुमसे प्यार करती हूं और हमेशा तुमसे प्यार करती रहूंगी, मैं बस शादी नहीं करना चाहती."
वीर भी अब बुरी तरह फंस चुका था। वीर ने उससे कहा, "हां, घर जाओ लेकिन आज के बाद तुम मुझे भूल जाओगी और कभी मेरा कॉन्टैक्ट नहीं करोगी।" इतना कहकर वीर गुस्सा होकर चला गया।
वीर के जाने के बाद काव्या रोने लगी, वीर के वकील ने उसे शांत कराने की बहुत कोशिश की। उस ने उसे प्यार से समझाया, ‘‘अगर तुम शादी नहीं करना चाहती तो घर छोड़ने का क्या मतलब? काव्या ने रोते हुए कहा, "प्लीज़ मुझे जामनगर की बस में बैठा दीजिए। मैं घर जाना चाहती हूं। अगर मेरे पिता को कुछ हुआ तो मैं खुद को कभी माफ नहीं करूंगी।"
वीर के वकील ने कहा, "मुझे अपने पिता का नंबर दो और मैं उन्हें इनफॉर्म कर दूंगा।" काव्या नंबर देती है और वकील मैडम उसके पिता को बताती है कि वह काव्या को जामनगर की बस में बैठा रही है और उसकी गलती माफ कर दो, वह बहुत रो रही है।
To be continued......
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