भाग-12


(23.)एक गजल
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इस जहाँ के सारे झगडों की सौगात पे गजल।
सुनाते  रहेंगे  हम  अपने  तुजुर्बात  पे  गजल।

जब बरसात में मिले अंजान से पहली दफा,
आपने मुस्कुराकर देखा उसी बात पर गजल।

जरा हँसकर हमें भी एक दफा देख लीजिए,
हम भी सुनाएगें अपनी मुलाकात पे  गजल।

कब तक पढ़ेंगे उनकी मसर्रत के वास्ते,
आज उनकी महफिलों के हालात पे गजल।

शहर के बीच कल जिसकी लुटी अस्मिता थी,
कह   देते   हैं  उसी  फसादात  पे  गजल।

चलो 'कश्यप' आज ऐसा सुनाते हैं जो दे खुशी,
अब ना पढ़ी जाए किसी सदामात पे गजल।

-अरूण कश्यप


(24.) आप आए तो
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आपको देखकर मैं शायरी हो गई।
आप के नाम  ये  जिंदगी  हो  गई।

गर देख लूँ झाँककर तुम्हारी आँखों में,
तो बस सनम मेरी मयकशी  हो  गई।

गुलाबी लबों पर ये हँसी ये देखकर,
हर  मुस्कान  मेरी  खुशी  हो  गई।

आप हो तो है ये जहाँ मेरे लिए,
वास्तव में रसभरी ये जिंदगी हो गई।

सच है यही कि जिंदगी तब ही मिली,
जब से तेरी-मेरी  आशिकी  हो  गई।

अब और क्या मैं माँगू तेरे से 'कश्यप',
तेरे आने से ये दुनिया  मेरी  हो  गई।

-अरूण कश्यप

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