भाग-11
(21.) बेवफा प्यार
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शब्द जब हिया के पार होते हैं।
रिश्ते तब तार-तार होते हैं।
देता है जब कोई धोखा अपना ही,
तब तीर दिल के आर-पार होते हैं।
अपना महबूब करे जब बेवफा तो,
ख्वाब सारे छार-छार होते हैं।
अपना सनम की जब बने कातिल,
तो घाव दिल पर बेशुमार होते हैं।
बन जाता है जीवन ही सारा बोझ,
जब रिश्ते दिल के तार-तार होते हैं।
हम लुट गये सीधे स्वभाव से यहाँ,
प्रेम करने वाले बडे होशियार होते हैं।
लूटते हैं वही 'कश्यप' छिपाकर रूप,
लोग जो दिखावटी पहरेदार होते हैं।
-अरूण कश्यप
(22.) प्यार जताना है
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आज जानना चाहता जमाना है।
प्रेम होता क्यों ये दिवाना है।
आप दिल में हो धड़कनो की तरह,
राज ये तुम से बस बताना है।
तुम्हारे सिवा ये अधूरी है जिंदगी,
तुम्हारे बिना हमारा कहाँ ठिकाना है।
जबसे मिले हम आप से कायनात में,
जीना तभी से दोस्त हमने जाना है।
हो जाऊँ फना हँसकर तेरे प्यार में,
ऐसा एहसास खुदा से पाना है।
बस 'कश्यप' दिल की है यही हसरत,
हो चाहे जो लेकिन तुमको ही पाना है।
-अरूण कश्यप
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