चुपके चुपके रात दिन...

अश्लेषा, देखो कौन आया है तुमसे मिलने. आओ बेटा अनिरुद्ध. तुम्हारी पूना वाली जॉब कैसी चल रही है?" सुधीर ने अनिरुद्ध को सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए कहा.

"जी काका. जॉब तो अच्छी चल रही है. और आपकी शुगर कंट्रोल हुई या नहीं? कहिये तो कल आपको शहर के किसी बड़े डॉक्टर के पास ले चलूँ?"

"अरे बेटा. कल ही तो तुम आये हो. डॉक्टर को मैं तुम्हारे बाबा के साथ शहर जाकर दिखा लाया था. और फिर इस उम्र में तो ये सब लगा ही रहता है. तुम बताओ. अब तो तुम्हारी अच्छी नौकरी भी लग गयी है. शादी कब कर रहे हो? मैं कहीं बात चलाऊं या पूना में ही तुमने कोई लड़की ढूंढ ली है?" सुधीर ने बात छेड़ी.

"अश्लेषा," अनिरुद्ध सकपकाया, "मेरा मतलब, अश्लेषा की पढ़ाई कैसी चल रही है?"

"अरे उसे तो फिल्मों और गानों से पढ़ाई के लिए फुर्सत ही कहाँ मिलती है. अरे अश्लेषा, अनिरुद्ध से कुछ टिप्स ले लो पढ़ाई के..."

अश्लेषा दौड़ती भागती ड्राइंग रूम में आयी और बाहर जाने वाली चप्पलें पहनने लगी, "बाबा, मैं कैसेट की दूकान जा रही हूँ."

"अश्लेषा. देख अनिरुद्ध कितने दिन बाद आया है..."

"अभी नहीं बाबा.अनिरुद्ध का क्या है, आज नहीं तो कल मिल लूंगी. मगर कैसेटस ख़त्म हो गयीं तो एक महीने नया स्टॉक आने का इंतज़ार करना पड़ेगा."

"अश्लेषा...अश्लेषा..."

"कोई बात नहीं काका," अनिरुद्ध बोला, "बात करने के लिए हम दोनों ही बहुत हैं."

.....

आखिरकार कॉलेज फंक्शन का दिन आ ही गया. रात हो गयी थी तो अनिरुद्ध अपनी बहन मिनी घर ले जाने के लिए बाइक पर कॉलेज आया था.

"दादा, मैं अपनी दोस्तों के साथ कार से निकल जाऊंगी. आप प्लीज अकेले ही वापिस चले जाओ,"मिनी बोली.

"मगर मिनी," अनिरुद्ध का वाक्य अधूरा ही रह गया.

तभी उसे अश्लेषा की आवाज़ सुनाई दी, "मैंने इतना भारी लेहेंगा पहन रखा है और कंचन, तेरा घर मेरे घर से उल्टा पड़ता है. कैसे जाऊंगी मैं घर?"

"अश्लेषा, आओ मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ," अनिरुद्ध बाइक को अश्लेषा की तरफ ले गया.

समुन्दर की ठंडी, नमकीन हवा में एक अजीब सा एहसास था. अश्लेषा अनिरुद्ध के पीछे बाइक में बैठी हुयी थी.

"तुम्हारा डांस...वो बहुत अच्छा था..."अनिरुद्ध ने कुछ झेंपते हुए कहा.

"है न, मुझे तो पता ही था की फंक्शन के बाद सब हमारे डांस की ही तारीफ़ करेंगे."

"अश्लेषा, पढाई के बाद क्या करने का प्लान है तुम्हारा?" अनिरुद्ध ने हेलमेट लगाए हुए बाइक चलाते चलाते पूछा.

"मैं...मैं तो कॉलेज ख़त्म होते ही शादी कर लूंगी..."अश्लेषा चहकते हुए बोली.

"ये उम्र अश्लेषा तुम्हारे करियर बनाने की है. शादी तो तुम कभी भी कर सकती हो."

"अगर मैंने उससे जल्दी से शादी नहीं करी तो मेरी जैसी कोई और उसे अपना बना लेगी."

अनिरुद्ध को सीने में जैसे कुछ भारी सा लगा. उसे डर था की कहीं अश्लेषा उसके कांपते हाथों को न देख ले. फिर भी उसने धीमी आवाज़ पूछा पुछा, "किसकी बात कर रही हो अश्लेषा?"

"आर्यन की. पता है कितनी खूबसूरत आवाज़ है उसकी. बिल्कुल सावन की पहली फुहार जैसी. और पता है कितना डैशिंग है वो? वो तो हर म्यूजिक वीडियो में उसने मास्क पहना होता है नहीं तो कितनी लड़कियों को वहीं हार्ट अटैक आ गया होता."

"एक मिनट...जब उसने मास्क लगाया होता है तो तुम्हे कैसे पता कि वो डैशिंग है? वो कोई बिल्कुल मामूली सा लड़का भी तो हो सकता है न..."

"उसकी आवाज़ सुनी है आपने, अनिरुद्ध," आर्यन के बारे में ऐसा सुनकर अश्लेषा चिढ़सी गयी थी, "उसके जैसी हिप्नोटिक आवाज़ और स्क्रीन प्रजेंस वाला कोई आपके जैसा सीधा सादा लड़का तो होगा नहीं. वैसे आपको भी तो पहले गाने का शौक था न. फिर क्यों छोड़ दिया? मगर सच कहूँ, तो आप कंटिन्यू भी रखते, तो भी आर्यन जैसे कभी नहीं बन सकते. उसके जैसा स्मार्ट, उसके जैसा डैशिंग तो कोई हो ही नहीं सकता."

"घर आ गया तुम्हारा, अश्लेषा," अनिरुद्ध का गला भर गया था.

"आपकी आवाज़ को क्या हो गया. और कब तक रुकेंगे आप सावंतवाड़ी में?"

"कुछ नहीं, खराश है बस.मैं पूना के लिए कल निकल रहा हूँ." और अश्लेषा के जवाब देने से पहली ही अनिरुद्ध ने बाइक स्टार्ट कर दी .

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