ओ सनम
अश्लेषा ने इरेज़र के नीले हिस्से को सेंट वाले कागज़ पर इतना रगड़ा की कागज़ ही फट गया.
"और कंचन कहती है इरेज़र के नीले वाले हिस्से से इंक मिट जाती है," अश्लेषा चिड़चिड़ा रही थी, "और ये सेंट वाला कागज़. इतना महंगा होने पर भी इतनी बेकार क्वालिटी. माना देखने में सुन्दर है पर अगर ज़रा सा इरेज़र उसे करने से जो फट जाये, वो कागज़ किस काम का?"
अश्लेषा आज बड़ी व्यस्त थी. अपना पहला लव लेटर जो लिख रही थी. आज आर्यन का दूसरा दिन था सावंतवाड़ी में और जाने फिर कब उसे आर्यन से मिलने का मौका मिले. अपनी बढ़िया सी कैलीग्राफी में लेटर का एक एक शब्द बड़े जतन से लिख रही थी वो.
जैसे ही अश्लेषा ग्रीन रूम पहुंची, उसने आर्यन को लेटर थमा दिया.
"अब ये क्या है?" आर्यन की उठी हुई भवें मास्क से नज़र आ रही थी.
"तुम खुद ही पढ़ लो ," अश्लेषा चाहकर भी अपनी मुस्कान रोक नहीं पा रही थी.
आर्यन ने लेटर टेबल पर फेंक दिया, "अभी मैं प्रैक्टिस कर रहा हूँ. लेटर वेटर पढ़ने का मेरे पास टाइम नहीं है."
"आर्यन."
"हूँ...सुन रहा हूँ मैं," आर्यन गिटार को Tune कर रहा था इसलिए उसने नज़र उठाये बिना ही कहा."
"मेरे एक दोस्त...नहीं दोस्त तो नहीं..."अश्लेषा ने कुछ हिचकिचाते हुए कहा, "तो अनिरुद्ध हैं. उनको भी कुछ टिप्स दे दो न. बड़े सीधे सादे हैं बेचारे...कोई लड़की उनको भाव ही नहीं देती. कुछ तो उनको सिखाओ जिससे वो तुम्हारे जैसे कम से कम 10 परसेंट तो बन सकें और बदल जाएं."
आर्यन ने अपना चेहरा गिटार पर टिकाकर कहा, "अगर प्यार के लिए किसी को इतना बदलना पड़े की वो खुद भी अपने आप को ना पहचान पाए तो वो प्यार किस बात का अश्लेषा. और अगर तुम्हें अपने दोस्त...ओह, सॉरी...नॉट योर दोस्त...क्या नाम बताया था तुमने...समथिंग मनोहर...हम्म ...आई रिमेम्बर नाउ, अनिरुद्ध, की इतनी ही परवाह है तो तुम खुद क्यों नहीं कर लेतीं उससे शादी?"
अश्लेषा गुस्सा में उठकर खड़ी हो गयी, "तुमने देखा भी है अनिरुद्ध को ? देखने से भले ही जवान लगें मगर उनका दिमाग और हरकतें किसी सौ साल के बूढ़े का है. कोई लड़की बात करे तो झेंप जाते हैं. कॉलेज के सबसे स्ट्रिक्ट लेक्चरर से भी ज़्यादा रूल्स फॉलो करने वाले हैं. और उनकी बातें इतनी बोरिंग हैं की..."
"बस अश्लेषा, और... कितनी बेइज़्ज़ती करोगी उसकी...समझ गया मैं...जो तुम कहना चाहती हो."
"है न?" अश्लेषा बोली, "लेटर ज़रूर पढ़ना."
तभी आर्यन ने अश्लेषा को अपनी और खींचकर कहा, "ऐसा क्या है मुझमें अश्लेषा जो उस अनिरुद्ध में नहीं है?"
अश्लेषा के अंदर आर्यन के इतने नज़दीक आकर एक सिहरन से दौड़ गयी, "एक तो तुम्हारी आँखों का रंग हरा है...और उनका भूरा."
"और?"
"और तुम इतने डैशिंग हो और वो एकदम सिंपल और सीधे."
"और?"
"तुम बिल्कुल बोरिंग नहीं हो. तुम्हारे साथ हर पल नया सा लगता है और उसके साथ..."
इसके बाद आर्यन ने अश्लेषा का हाथ छोड़ दिया.
उस दिन अश्लेषा ने पहली बार आर्यन को लड़कियों के अटेंशन का मज़ा लेते हुए देखा और एक खूबसूरत लड़की की तरफ उसने फ्लाइंग किस भी दिया. अनिरुद्ध होते तो ऐसा कभी नहीं करते.उसने उनकी कितनी बुराई की...वो भी किसी बाहरी के सामने. आर्यन तो जाने अब अनिरुद्ध को क्या समझ रहा होगा...उसे क्या पता कि जब अनिरुद्ध सावंतवाड़ी छुट्टियों में आया होता और अश्लेषा की परीक्षाएं चल रही होतीं तो अश्लेषा रात को दो बजे भी फिजिक्स का कोई सवाल पूछने के लिए फ़ोन करती तो फ़ोन पर उसे पूरे दो घंटों तक सब्जेक्ट revise करवाता था . उसे क्या पता होगा जब एक बार अश्लेषा कॉलेज पिकनिक से लौटने में लेट हो गयी थी तो अनिरुद्ध अपना जॉब इंटरव्यू छोड़कर उसके बाबा को बाइक के पीछे की सीट पर बिठाकर पूरा शहर छान मारा था. और उसने उनकी बुराई आर्यन से की थी जो दिखता कैसा है उसे ये तक नहीं पता था. मगर न जाने क्यों आर्यन की हर छोटी चीज़ उसे अनिरुद्ध की ही याद दिलाती थीं. जब उसका ऑटोग्राफ लेने के लिए भीड़ उमड़ती, तो अश्लेषा को धक्का न लगे इसलिए भीड़ और अश्लेषा के बीच अपना हाथ लगा देना, और जब अश्लेषा को भूख लगी थी तो अपने मैनेजर से कहकर उसके अल्फोंसो आम मँगा देना अपने खाने के लिए जिसे आर्यन ने हाथ तक नहीं लगाया और मैनेजर को सारे आम अश्लेषा को देने पड़े .
"अश्लेषा तू पागल है पागल!" अश्लेषा ने सर पर हाथ मारते हुए कहा, "क्या क्या सोच लेती है तू? अनिरुद्ध और आर्यन...दोनों बिलकुल अलग हैं. कहाँ वो शर्मीले, सीधे सादे अनिरुद्ध कहाँ वो कॉंफिडेंट, हिंदुस्तान की हर लड़की के दिल का राजकुमार आर्यन."
सुबह चार बजे आसमान पर तारे अश्लेषा की कुर्ती पर टंके बटनों की टँके हुए थे. लाइटहाउस से सावंतवाड़ी कितना अलग लग रहा था...बिलकुल किसी बुलबुले जैसे सपने की तरह...कि किसी ने छूने की कोशिश की नहीं कि छूमंतर ... समुन्दर की लहरें एक उदास गीत की तरह गूँज रहीं थी.
"अश्लेषा ," लाइटहाउस की इतनी सीढ़ियां चढ़ते हुए अनिरुद्ध हांफने लगा था, "क्या पागलपन लगा रखा है तुमने? और सुधीर काका को क्या नोट लिखकर आई हो? कि तुम मॉर्निंग वॉक पर जा रही हो? सुबह चार बजे? सबको अपनी तरह पागल समझ रखा है? भूत प्रेत करते हैं इस समय वॉक."
अश्लेषा ने अनिरुद्ध को कुछ देर देखा फिर दौड़कर उसके गले लग गयी और फूट फूटकर रोने लगी.
"अश्लेषा, क्या हुआ?" अनिरुद्ध ने अश्लेषा के बालों पर हाथ फेरते हुए पूछा, "किसी ने तुम्हे कुछ कहा क्या? कुछ हुआ क्या? अरे सुधीर काका को नहीं, तो कम से कम मुझे तो बताती..."
"वो...वो..." अश्लेषा ने हिचकियों के बीच कहा, "वो मैं कभी आपको छोड़कर नहीं जाना चाहती."
अनिरुद्ध ने अश्लेषा के चेहरे को हाथों के बीच रखकर पूछा, "तो तुम जा कहाँ रही हो?"
"बम्बई," अश्लेषा आंसू पोंछते हुए बोली, "आर्यन से शादी करने के बाद."
"शादी कब होने लगी तुम्हारी?" अनिरुद्ध हक्का बक्का रह गया, "खुद आर्यन को भी पता है तुम दोनों की इस शादी के बारे में. अश्लेषा मेरी बात सुनो मुझे तुम्हे कुछ बताना है..."
"बाद में अनिरुद्ध, अभी मुझे आर्यन से मिलने जाना है," कहकर अश्लेषा फिर अनिरुद्ध को लहरों के शोर के साथ अकेला छोड़ गयी.
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