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ढलता सूरज
बदलता आसमान
चंद्रमा के संग आया देखो
तारों का कारवाँ

कोई लाल कोई पिला
कोई निला कोई सफेद
लेकिन हमारी नज़रों से देख के देखो
न दिखेगा उनमें कोइ भेद

हमारे लिए तो सब तारें है
चमकते हुए सितारें है
अंधकार भरी रात में उम्मीद जगाते
वह लाखों करोड़ों सितारें है

कहा से आते हैं कहा जाते हैं
किसे पता भी हो तो हमें क्या?
हम तो बस उनकी खूबसूरती को
अपने शब्दों में करना चाहते है बयाँ

बस इतनी सी ख्वाहिश मन में लिए
हर रात उन्हें निहारते है
कि सुबह उठकर शायद वे चले भी जाए
तो भी इन शब्दों में वे सदा अमर रह सके

कि इन शब्दों में वे सदा अमर रह सके।

| चिन्मय

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