59

कल तक जो थे
सिर्फ खयालों में हमारे
ज़िंदगी जिते थे
जिन सपनो के सहारे
इस मधुरसी नइ हवा में
आज इस सागर किनारे
आँखें यह आपकी
हकिकत में हमें निहारें
सपनो से निकल कर कहती है
"हा, हम बस है तुम्हारे!"

Bạn đang đọc truyện trên: AzTruyen.Top