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समझने को बातें तो है
मगर उलझने को खयाल कई ज्यादा
भटकने को राहें तो है
मगर उन रास्तों पर भटकने वाले राही कई ज्यादा।
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मगर उलझने को खयाल कई ज्यादा
भटकने को राहें तो है
मगर उन रास्तों पर भटकने वाले राही कई ज्यादा।
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