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जब हमारी हर अनकही बात को
सुनने की ख्वाहिश रखते हो
जब हमारी हर उलझी हुई सास को
सुलझाने की ख्वाहिश रखते हो
जब हमसे इतनी मोहब्बत करते हो
तो फिर क्यों उस मोहब्बत को बयाँ नहीं कर पाते?
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जब हमारी हर अनकही बात को
सुनने की ख्वाहिश रखते हो
जब हमारी हर उलझी हुई सास को
सुलझाने की ख्वाहिश रखते हो
जब हमसे इतनी मोहब्बत करते हो
तो फिर क्यों उस मोहब्बत को बयाँ नहीं कर पाते?
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