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कागज़ की कश्ती जैसी
उसकी लिखी हर कविता है
एहसास के गहरे समंदर में
लफ़्ज़ों की सैर का जरिया है
बारिश की बूंदों जैसी
उसकी लिखी हर कविता है
मायूस पड़ी इस दुनिया में
खुशियों का एक जरिया है
यह कागज़ की कश्ती
यह बारिश की बूंदे
उसके हर एक लफ्ज़
उस बच्चे को ढूंडे
खोया है जो
आज की भागदौड़ में
हम सब के अंदर का बच्चा
जो मिलता है अब
सिर्फ उसकी कविता में
***
With contribution from the talented undoubtedlymine
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