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बादलों मे नहीं, तू उम्मीदों में है छुपा
तारों से नहीं, तू ख्वाहिशों से है सजा
हर रात मेरी आंखें, तेरी राह तकती रहती है
इसी एक उम्मीद मेे, के तू मेरी हर ख्वाहिश सुन सके
क्योंकी, तू ही तो है एक अकेला
जिससे में हर बात बयां कर सकता हूं
हा, तू ही तो है एक अकेला
जिसपे में आँख खोल के भरोसा कर सकता हूं।

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