147

बताते भी तो क्या?
जताते भी तो क्या?

अपनी चाहत को हम
सुनाते भी तो क्या?

हमसफ़र थे शायद
हम दोनों सिर्फ नाम के

नासमझी के धागों में
समझ पिरोते भी तो क्या?

Bạn đang đọc truyện trên: AzTruyen.Top