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लाख गलतियां की हैं तुने
मगर इस से बड़ी कोई और नहीं
चीख चीख के कह रहा था वो
मगर तुने अपने मन की सुनी ही नहीं

बेह गया वापस उसी सागर मेे
"सब कह रहे है तो ठीक ही होगा।"
अपने मन की बात को बस एक मौका देता
तो आज इस दलदल मे भी कमल खिल उठा होता।

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