138

इस अकेलेपन में कहीं
खो रहे है अपने आप को
इसी अकेलेपन में फिर
ढूंढ रहे है अपने आप को

आसुओं के समंदर में
डूबा रहे है अपने आप को
खुशियों के भवंडर में फिर
उड़ा रहे है अपने आप को

क्या सही क्या ग़लत
इसी में समा रहे है अपने आप को
खयालों के मायाजाल से फिर
सजा रहे है अपने आप को

नाराज़गी के रास्तों पर
चला रहे है अपने आप को
सुलह की चिंगारी से फिर
जला रहे है अपने आप को

क्यों? क्यों अपने आप में यूं
उलझा रहे है अपने आप को?
क्यों सुलझी हुई गांठ में फिर
बांध रहे है अपने आप को?

क्या डरते है
जी हा
क्या डरते है कि
कही भूला न दे अपने आप को?
फिर क्यों सुबह शाम यू
याद कर रहे है अपने आप को?

क्यों सुबह शाम यू याद कर रहे है अपने आप को?

Bạn đang đọc truyện trên: AzTruyen.Top