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दर्द का क्या
वो तो हर जगह टहलता है
कभी सर मे छिप कर बैठ ता है
तो कभी दिल के टुकड़े करता है।
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दर्द का क्या
वो तो हर जगह टहलता है
कभी सर मे छिप कर बैठ ता है
तो कभी दिल के टुकड़े करता है।
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