खुद से ही रिहा!

कुछ ना पाने की एक अलग ही ख्वाईश है
सब खो के खुदको तलाशने की साजिश है|
मंजिल तो सबकी एक
राहें मगर मुख्त़लिफ़ है|
खुद की परछाई
अनजान होने का दावा करती है ...
हा एक राही ही सही
मगर खुदको ढूंढना गलत है ?

मोह ना होने का... एक अलग ही मोह हैं|
सब खोके खुदको पाने का संघर्ष है ;
ख्वाब नही रोम-रोम मे बसी जरूरत है...
खुदको खुद से रिहा करने की...
वजूद पा कर खोने की|
मगर हू तो सिर्फ एक राही
गुम हो कर ही सही
खुदको जरूर पाऊंगी
एक दिन ही सही!

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