तेरा ज़िक्र
तेरा जिक्र अज भी मयखानों में है,
वो उम्दा नज्म रखी दुकानों में है,
लौटा देता हूँ हर सौदागर को
जान तेरी पहुँच ऊंचे ठिकानों में है....
तेरा जिक्र अज भी मयखानों में है....2
तेरा वो लड़खपन, तेरी वो हँसी ठिठोली,
गूंजती उन्हीं भूले-बिसरे बागानों में है,
वक्त गुजर गया पर तेरा एहसास जवान है,
घुलकर तेरी खुशबू आती अज भी दस्तरख्वानो में है....
तेरा जिक्र अज भी मयखानों में है... 2
कायम हूँ अज भी तेरी उस कसम पे,
दफन यादें झाँकती भी नही रोशनदानों में है,
तड़प खुदतक समेटे दी मैंने कहीं रुसवा ना हो,
सुना है तेरा रिश्ता अब ऊँचे खानदानों में है...
तेरा जिक्र अज भी मयखानों में है - 2
Hey दोस्तों, कुछ उभरते एहसासों को शब्दों में पिरोये है ।
आशा है पसंद आएंगे......
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