इंसान

भोले भाले ये काया,

मन मे है ना कोई दया,

शयद ऐस ही होते है इसांन,

जो रकते हैं सिफ अपना ध्यान।

कहते है इंसान है सबसे समादर,

पर मेरी मानो तो है ये नासमज,

जीसे उचित अवं उनुचित,

दुंदला है नजर अता।

अगर इंसान न होते, तो शयाद,

ये दुनीया हरे रंग से भारा होता।

अगार इंसान न होते, तो शयाद,

ये संसार मे शांती होता।

- उर्जा धोश
(BookLoverVenue)

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