दिल
हमने खामोशी से तुम्हे अपने दिल मै बसाया है,
और किसी और को तुम्हे अपना बनाया है।
कुछ हसीन पलों मै यह दिल के लैब्स भी कहते है,
फिर न जाने क्यों दुखहो के दस्त मै को जाते है,
मेरे मासूम दिल का क्या कसूर कोई तो बताए,
जिसे ही यह दिल चाहता है,
वोही इससे तोड़ जाता है।
दिलों मै रहना सिखो,
गुरुर मै तो हर कोई रहता है,
मुंह पर कहना सिखो,
पीछे तो हर कोई बोलता है।
— रीशीका सिन्हा
(SavySagittarius)
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