उम्मीदों का समंदर

उम्मीदों का समंदर

मेरे दिल के अंदर
सिमट रहा एक
उम्मीदों का समंदर
जैसे उठ चुका हो कोई भवर ।

मेरे मन में
सिमट रहा एक
सवालों का भवंडर
जैसे समुद्र में कोई सुनामी की लहर

मेरे दिल के अंदर
सिमट रहा एक
ख्यालों का समंदर
जैसे भवगान का बरसा कोई कहर

बस यूँ ही रह जाएंगे,
ये मेरे दिल में यूं सिमट कर
क्योंकि कहीं भी नहीं
इनके जबाबों का मंज़र

~ विप्रांशी सिंह
(Vipranshi Singh)

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