सुरज और चाँद

एक और था सुरज
एक और वह चाँद

एक उगलता आग
तो दूसरा था शांत।

मिलकर फिर बिछड़ जाते
एक पल की थी खुशी

ब्रम्हांड की इस माया में
दोनों ही जानें फसी।

लेकिन दोनों घुमते गोल
दोनों थे गोल मटोल

और इस सुक्ष्म सी प्रथ्वी के लिए
दोनों का एक ही मोल।

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