क्यों?

हमारे दिल के इस रेगिस्तान में
तुम बाढ़ लाकर चलीं गई
मगर हम कमबख्त एक बुंद पानी की तलाश करते रहे।

हमारे दिल के इस समंदर में
तुम टापू बन कर डट गई
मगर हम कमबख्त छोटी सी एक नाव की तलाश करते रहे।

पर क्यों न रोका तुमने हमें
क्यों न कहा कि तुम ही हो?

के तुम ही हो वह तुफान, जो इस दिल को उड़ा के लिए गया।
के तुम ही हो वह शहर, जो इस दिल को बसा के ले गया।
के तुम ही हो वह चोर, जो इस दिल को चुरा के ले गया।

क्यों?

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