(tr) the spies of joy

a poem by geet Chaturvedi, translated from hindi

a yellow window opens

like the petals of some flower

a bird gnaws the bars of its cage

as if pecking ricegrains in its own field

some of my dreams have dried up now

nowadays i make a bonfire out of them

and the dreams that are still green

i gather them and quench the hunger of a goat

the oldest poet of my language has brought fat books from the library

sitting at the crossroads he distributes words as if they were gold coins

an old woman in my neighborhood has designed a machine in which if you put tears,

drinkable water is separated from edible salt

a mother looks at her child with such motherliness

that many rivers start flowing from the stream of her milk

which turns the red of the blood spilled on the earth

into the light pink hue of love

~

ख़ुशियों के गुप्तचर

एक पीली खिड़की इस तरह खुलती है

जैसे खुल रही हों किसी फूल की पंखुड़ियाँ

एक चिड़िया पिंजरे की सलाखों को ऐसे कुतरती है

जैसे चुग रही हो अपने ही खेत में धान की बालियाँ

मेरे कुछ सपने अब सूख गए हैं

इन दिनों उनसे अलाव जलाता हूँ

और जो सपने हरे हैं

उन्हें बटोर कर एक बकरी की भूख मिटाता हूँ

मेरी भाषा का सबसे बूढ़ा कवि लाइब्रेरी से लाया है मोटी किताबें

चौराहे पर बैठ सोने की अशर्फ़ियों की तरह बाँटता है शब्द

मेरे पड़ोस की बुढ़िया ने ईजाद किया है एक यंत्र जिसमें आँसू डालो, तो

पीने लायक़ पानी अलग हो जाता है, खाने लायक़ नमक अलग

एक माँ इतने ममत्व से देखती है अपनी संतान को

कि उसके दूध की धार से बहने लगती हैं कई नदियाँ

जो धरती पर बिखरे रक्त के गहरे लाल रंग को

प्रेम के हल्के गुलाबी रंग में बदल देती हैं 

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