वो चिट्ठियां जो सरहद से आई ,
कितनी चीखें लाएंगी ,
वो खून की नदियां साथ साथ ,
सिंदूर बहा ले जाएंगी ।
जब मेंहदी वाले हाथों से ,
शृंगार उतारे जाएंगे ,
उस रोज भला इंसान तो क्या ,
पत्थर भी आंसू बहाएंगे ।।
- प्राची ( कृष्णा )
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