AESTHETICS
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ब्रज की महिमा क्या है ?
सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै । जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं ॥
नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार न पावैं । ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं ॥
- रसखान
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