खो गया हूं मैं

तेरे जाने के बाद यूं ना जाने यादों के
किस कोने में खो गया हूं मैं ,
अांखें तो खुली हैं
पर अंदर से सो गया हूं मैं ।

कुर्सी पर बैठे सांझ सवेरे
याद करूं लम्हे तेरे और मेरे ,
अंदर चल रहा है काफी शोर
बाहर से सन्नटों ने लगा रखे हैं डेरे ।

बातें तो हैं बहुत बताने को
पर अब उन्हें सुनने वाला कोई नहीं
शायद ही ऐसा कोई पल होगा
जब तेरी झलक के लिए मेरी आंखें रोयी नहीं

यादों के विशाल समुद्र में
हर घड़ी डूब रहा हूं मैं ,
आखिरी सांसे गिनता
तेरी ही कश्ती ढूंढ रहा हूं मैं ।

तेरा इंतज़ार करते करते अचानक
सीन्हे में हवाओं का तूफान आ जाता है ,
सांसें कम होती हैं तो
जीवन मरण में युद्ध घमासान हो जाता है ।

शरीर पर उस पुराने मित्र का
अब यूं जुलूस होने लगा है ,
वहीं दर्द जो पहले भी था
तेरे जाने के बाद महसूस होने लगा है ।

तेरे जाने के बाद यूं ना जाने यादों के
किस अंधेरे कोने में खो गया हूं मैं ,
आंखें तो खुली हैं
पर अंदर से सो गया हूं मैं ।।


By- Ankit Jaiswal






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