Chapter-4

हर कोई शादी की तैयारी में busy था | महेमान भी बरातियों के स्वागत के लिए तैयार हो रहे थे | परम, तेज कैमरे और मोबाईल के साथ busy थे | राजीव और आलोक महमानों के स्वागत के लिए दरवाजे पर ही खड़े थे | आज आधा london इस शादी में जमा था | बारात के आने का शोर बंगले के अंदर सबके कामो में पड़ने लगा था, उधर खुशी में दूसरी सनक पैदा हो गयी थी | सामने vodka के पैग ट्रे में सजे रखे थे और खुशी उन्हें खाली करने की मानो कसम लेकर बैठी हो |
“खुशी पागल हो गयी है क्या ?” लहँगे चोली में पैग गटकती खुशी को देख चेतना बोली |
“जो मैं करने जा रही हूँ, वो पागलपन से कम थोडा ही है |” खुशी चेतना को देखती हुई “तुझे इतनी ही problem हो रही है तो तू ही शादी कर ले.....|”
“बारात दरवाजे पर पहुँच गयी है , कुछ तो समझ...|” चेतना ने बाहर की आवाज पर ध्यान दिया |
My futt.....|” पैर पटकती खुशी को शायद चढने लगी थी |
“खुशी चेतना, तुम तैयार हुई या नही...?” दरवाजे को खटखटाती पायल ने पूछा |
“इसकी तो.....!!” खुशी आगे बढ़ कुछ कहने लगी |
“Just few minets भाभी, अभी आये....|” चेतना ने उसे पकड़ लिया |
“जल्दी करो, बारात दरवाजे पर आ चुकी थी |” पायल की आवाज आयी |
“जी भाभी....|” डोलती खुशी को सभालती चेतना बोली |
चेनता ने खुशी को बेड पर बैठाया और तैयार करने लगी | बारात ने घर में entry कर ली थी और दुल्हे को मण्डप में ले जाया जा रहा था | चेतना दूसरी तरफ लडकियों के साथ घुंघट लिए दुल्हन बनी खुशी को लेकर नीचे आ रही थी | दुल्हे के साथी उसका सहेरा ठीक कर हाथ में वरमाला दे रहे थे | राजीव अपने सबंधी के गले मिल हँसी – मजाक कर रहा था | खुशी को दुल्हे के सामने खड़ा किया गया पर खुशी vodka के नशे में झुमने लगी | चेतना ने उसे पकड़ लिया |
“वरमाला डालो बेटी...|” पण्डित ने दुल्हे को बोला |
दुल्हे ने खुशी को वरमाला डाल दी |
“बेटी....|” पण्डित ने बोला |
खुशी चुप खड़ी रही | सब खुशी को देखने लगे | चेतना ने खुशी को चमटी काटी और खुशी में करंट दौड़ गया | खुशी ने दुल्हे को वरमाला डाल दी | चारो तरफ से तालियों और फूलो की वर्षा होने लगी | पण्डित के इशारे के साथ दोनों को मण्डप में बैठाया गया | तेज, परम,सूट – बूट में सजे – धजे सामने खड़े थे | चेतना की आँखे उन से कुछ पूछ रही थी और दोनों ने सब कुछ इशारे में चेतना को बता दिया | पण्डित ने मंत्र पढने शुरू लिए और चेतना घड़ी देखने में busy हो गयी |
“दुल्हन का भाई तलिक के लिए आगे आये |” पण्डित ने नजरे उठा सामने देखा |
“अरे चेतना बेटी, जरा अपने आलोक भैया को बुलाकर लाना |” अंजली ने चेतना से कहा |
“आंटी वो....|” चेतना खुशी को छोड़ने के लिए तैयार नही थी |
“मैं बैठती हूँ इसके पास, you just go....|” अंजली ने चेतना को उठा दिया |
चेतना को मजबूरी में उठकर जाना पड़ा | तेज, परम भी उसके पीछे खिसक लिए |
“तुम वही रहो, मैं अभी आ रही हूँ |” चेतना आगे बढ़ गयी |
“क्या हुआ...?” तेज ने हॉल में चेतना को रोक लिया |
“आलोक भैया को को बुलाने, पता नही कहाँ मर गये |” चेतना बोली |
“हम भी चलते है |” तेज आगे बढ़ गया |
“Stupit, खुशी अकेली है वहाँ ?” चेतना बोली |
“वो सभाल लेगी सब कुछ, you don't worry...|” परम भी आगे बढ़ गया |

चेतना आलोक को लेकर वापिस आ गयी और खुशी के पास बैठ गयी |
“You all right ना...|” चेतना उसकी चुनरी ठीक करती बोली |
“मुझे क्या हो सकता है |” 2 मिनट बाद खुशी ने मुहँ खोला |
चेतना की जान में जान गयी |
“आहुति के लिए हाथ आगे करो बेटी....|” पण्डित के हाथ में सामग्री थी |
खुशी अभी भी शांत बैठी थी |
“डोली बेटा...|” राजीव पीछे खड़ा हुआ बोला |
“जी पापा जी...!!!” दरवाजे पर गुलाबी गाउन, हाथ में गुलदस्ता और अपने अंग्रेज दुल्हे के हाथो में हाथ लिए खड़ी बोली |
अंजली देखते ही बेहोश हो गयी | सारे महेमान उठ गये | राजीव का हाथ अपने दिल पर चला गया | दूल्हा आहुति के लिए सामग्री हाथ में लिए खड़ा हो गया |
“चल खिसक यहां से...|” खुशी की चुनरी उतार चेतना उसे खीचकर ले गयी |
दूल्हा हैरानी में मुस्कुराती खुशी को देखता रहा गया | तेज और परम पहले ही begs के साथ तैयार खड़े थे |
“Happy weding life डोली di...|” खुशी एक पल उसके पास रुक गयी |
“Thanku so much खुशी, you are the best....|” डोली ने उसके चहरे को हिलाया |
“I know डोली di....|” खुशी बाहर की तरफ खींचती हुई बोली |
“Just go...|” डोली ने इशारा किया |
“ये सब क्या है डोली....?” राजीव चिल्लाया |
“Nothing dad....|” डोली ऊँगली आगे करते हुए “मैने साइमन से शादी कर ली है |”
“और ये जो यहाँ हो रहा है, वो...?” दुल्हे का पिता बोला |
“तुमने यहाँ अपनी जगह किसी दूसरी लडकी को बैठा दिया, मजाक चल रहा है ?” दूल्हे की मम्मी बोली |
“मजाक तो मेरे साथ हो रहा था, जो एक लल्लू से मेरी शादी की जा रही थी |” डोली बेधडक बोलती हुई “इसलिए मैने चेतना की friend से help माँगी, ताकि आपको शक ना हो और मैं साइमन से शादी कर लूँ...|”
सब बेवकुफो की तरह डोली को देख रहे थे |
“और at on time, मैंने आकर शादी रोक ली |” डोली एक जीत भरी मुस्कान के साथ पीछे खड़े दूल्हे से “Sorry लल्लू |”
किसी के मुहँ से शब्द नही निकले |


To be continue......

Hope you like it.

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