Chapter 24 - Palak (part 2)
Hello, my dear friend,
Aap sabko itne dino baad firse dekhkar bahot achha laga. Ek bar fir deri ke liye mafi chahte hue chalo shuru karte hai Asambhav ke aage ka rahasymay safar. To taiyar ho jaiye aur seat belt bandh le age ka safar bahot hi utar-chadhav se bhara hai.
Enjoy! 💖
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कहानी अब तक...
मगर नैना की हालत पल-पल बिगड़ने लगी। अगले कुछ ही पलों में वो खासते हुए कमज़ोर होकर ज़मीन पर गिर पड़ी।
*****अब आगे*****
इसके अगले ही पल दरवाज़े के पास किसी को देख, "आप..?!" कराहते हुए नैना के मुंह से वो शब्द सुनते ही, उस दूसरे दरवाज़े से एक नौजवान लड़के ने काफ़ी नाटकीय अंदाज़ में अकड़ते हुए कमरे के अंदर प्रवेश किया।
वो लड़का शक्लों-सूरत से अच्छे खानदान का लग रहा था। मगर इसके बावजूद उसका गौरा रंग, सुडौल-सुघड़ कद, चेहरे पर हल्के बिखरे लंबे बाल और उसकी गहरी काली आंखे, जिसमें कोई तो अप्रत्याशित बात छुपी थी। साथ ही उसके सर पर चमकता बड़ा सा ताज, उसका शाही कीमती लिबाश और उसका रौबदार व्यक्तित्व उसके किसी शाही परिवार से होने का इशारा कर रहे थे।
नैना की ओर बढ़ते हुए, "माफ़ करिएगा, राजकुमारी। मैं आपके विवाह प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर पाया।" उस लड़के ने नकली सहानुभूति दिखाते हुए कहा । जबकि उसके होठों पर दबी हुई सी मुस्कान साफ़ झलक रही थी।
काफ़ी मुश्किल से सर उठाकर उसे देखते हुए, "इसका मतलब... इतने दिनों... से आप मुझे... धोखा देते आए थे।" नैना ने अपनी दर्द भरी आवाज़ में कहा।
मगर उस लड़के पर नैना की दर्द भरी बातों का कोई असर नहीं हुआ। उल्टा सफ़ाई देने की बजाए वो तारा के पास पहुंच गया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसे अपने क़रीब कर लिया। इसी के साथ उन दोनों ने मुड़कर शातिर मुस्कान के साथ नैना की देखा। और उन दोनों को साथ देखकर नैना की आंखों में आसूं भर आए।
कमज़ोर पड़ चुकी नैना बैठने की नाकाम कोशिश करती रही। "हमारे साथ बिताया वो समय, आपकी बाते, आपके वादे और आपका प्रेम सब कुछ केवल एक दिखावा था?!" और दर्द से तड़पते हुए उनसे शिकायत करती रही।
मगर बदकिस्मती से तारा को अपनी बहन को मारने का ज़रा भी अफ़सोस नहीं था! कोई इंसान इतना स्वार्थी और इतना निर्दय कैसे हो सकता है कि वो अपनी खुशी के लिए किसी की जान तक ले ले?! और वो भी अपने ही परिवार के सदस्य की! अपनी बहन की!
नैना की बाते सुनते ही वो राजकुमार अचानक नैना के क़रीब जाकर उसके सामने घुटनें मोड़कर बैठ गया। "नहीं राजकुमारी। हम प्रेम अवश्य करते हैं।" उसकी आंखों में देखकर कहते ही वो तेज़ी से तारा के पास वापस लौट गया। "किंतु आपसे नहीं, आपकी बहन राजकुमारी तारा से।" और तारा के पास आते ही उसने अपने हाथों से तारा का चेहरा थामते हुए उसे गहरी नज़रों से देखा।
तारा और वो राजकुमार दोनों एक-दूसरे की आंखों में खोए थे। उन दोनों को अपने किए गुनाह का कोई पछतावा नहीं। मगर मैं अपने किसी को इस तरह तड़पते नहीं देख सकती थी। और अपनी ही धुन में मैं उसे बचाने आगे बढ़ने लगी।
मगर तब अचानक, "हां, हम आपसे नहीं बल्कि हमेशा से राजकुमारी तारा से प्रेम करते थे।" उस राजकुमार की आवाज़ ने अंजाने में आगे बढ़ते मेरे कदमों को वहीं रोक लिया। और मैं फिर पर्दे की आड़ लेकर उन्हें देखने लगी।
"किंतु अगर हमारा विवाह राजकुमार शिवम् से हो जाता तो हम इस राज्य की महारानी नहीं बन पाते।" तारा ने बेखौफ होकर अपनी भयानक योजना का खुलासा करते हुए इतरा कर कहा। "इसलिए हमने अब तक आपको विवाह करने से रोके रखा। और अब जबकि पिताजी आपसे पहले हम दोनों का संबंध जोड़ने के लिए राज़ी हो गए हैं तो अब आप शांति पूर्वक विश्राम कर सकती हैं, हमेशा के लिए।" और उन दोनों के होठों पर शातिर मुस्कान आ गई।
तारा की बात सुनते ही ज़मीन पर बेबस पड़ी नैना की आंखों से आंसू की धार बहने लगी। मगर इसके बावजूद उन दोनों को नैना पर थोड़ा भी तरस नहीं आया। और अगले ही पल उस निर्दय राजकुमार शिवम् ने अपनी तलवार म्यान से बाहर खींच निकाली।
अपने सामने इतना कुछ घटते देखकर मैं काफ़ी बेचैन थी। उन दोनों के इस भयानक षड़यंत्र को देख मुझे उन पर बहोत गुस्सा आ रहा था। मैं नैना को अपने सामने इस तरह मरते नहीं देख सकती थी। मैं कुछ भी करके उसे बचाना चाहती थी। मगर अफ़सोस कि वहां मौजूद होकर भी मैं उसके लिए कुछ नहीं कर पा रही थी।
"नहीं, राजकुमार। आप... ऐसा... नहीं कर सकते।" अपनी मुश्किल से निकलने वाली कमज़ोर आवाज़ में विनती करते हुए, "मैं... आप दोनों के बीच नहीं आऊंगी। किंतु हमें... जाने दीजिए। हमें छोड़ दीजिए।" नैना दर्द से करहाते हुए फिर ज़मीन पर ढल पड़ी।
नैना को इतने दैनीय हाल में देखकर एक पल के लिए उस राजकुमार के हाथ रुक गए। और वो गंभीर नज़रों से उसे देखता रहा। मगर तभी महल में मौजूद लोगों की आहट सुन तारा बहोत घबरा गई। तारा ने तेज़ी से राजकुमार के पास जाकर झटके से उसके हाथ से तलवार छीन ली और बिना एक क्षण गवाएं उसने उस तलवार को नैना के सीने के पार कर दिया।
नैना की माशपेसियों को चीरकर तलवार के अंदर जाते ही नैना के मुंह से ज़ोरदार दर्द भरी चीख निकल गई। और वो ज़मीन पर ढल गई। इसी के साथ महेल के सफ़ेद संगमरमर पर नैना का गहरा लाल खून फैल गया। इस खौफ़नाक मंजर को देख मेरे मुंह से चीख निकल पड़ी। लेकिन मैंने किसी तरह अपनी आवाज़ को अपने अंदर दबा दिया।
अपने आसपास हो रही इन असाधारण गतिविधियों के पीछे का रहस्य जानने की जिज्ञासा लिए मैं यहां तक इस खतरनाक माहौल में चली आई थी। लेकिन अपने सामने इतनी बेरहमी से किसी की हत्या होते देखकर अब मेरा दिल दहल उठा था।
राजकुमारी तारा की इस बेरहम हरक़त को देखकर एक क्षण के लिए राजकुमार भी स्तब्ध रह गया। मगर किसी को उनके इस गुनाह की ख़बर न हो जाए इस डर से उसने तेज़ी से अपनी भयंकर योजना को अंजाम दे दिया।
उन्होंने नैना के शरीर के टुकड़े कर एक संदूक में डाल दिया। और कमरे में मौजूद अपने इस भयानक गुनाह के सभी निशान मिटा दिए। वो दोनों को यहीं लग रहा था कि उनके गुनाहों की ख़बर किसी को नहीं थी। वो बच निकले थे। लेकिन ये उनकी बहोत बड़ी गलतफेमी थी।
गुनाह करनेवाला हर गुनेहगार यहीं समझता है कि उसे कोई नहीं देख रहा। लेकिन वो ये भूल रहा होता है कि परमात्मा इस भ्रमहांड के हर कण में बसे है। और उनकी बनाई इस प्रकृति की नज़र से वो सब देख रहे हैं। मगर आज इतना भयानक मंजर अपनी आंखों के सामने देखने के बाद अब कमरे में हो रही हर एक गतिविधि के साथ मुझे अपने आसपास के परिवेश से डर लगने लगा था। कमरे के अंदर हो रही हलचल के साथ चारों और से सुनाई देने वाली आहटें मुझे चौंका रही थी। यहां तक कि मेरे दिल की धड़कने भी मुझे डराने के लिए काफ़ी थी। इस हिंसक खुनखराबे को देखकर मेरे दिलों-दिमाग़ सुन्न पड़ गए थे। मेरे हाथ-पैर डर के मारे कांप रहे थे। वहीं रौंगटे खड़े करने वाली ठंड के बावजूद मुझे पसीने आ रहे थे।
अपने किए गुनाह के सबूत मिटाते वक्त राजकुमारी तारा किसी की आहट सुनकर घबराई गई और अचानक उसके दरवाज़े की ओर मुड़ते ही उसका चेहरा मेरे सामने उजागर हुआ । उस कातिल राजकुमारी का चेहरा नैना के लाल खून के धब्बों से सना था। उसकी आंखों में तेज़ गुस्सा और डर साथ नज़र आ रहे थे। राजकुमारी तारा के चेहरे पर अंगीनत चिंता की लकीरें खिंच गई थी। तो वहीं उसके लंबे बिखरे खुले बाल उस बेरहम राजकुमारी को और भी भयावह रूप दे रहे थे।
मगर तारा का चेहरा मेरे सामने पूरी तरह उजागर होते ही मेरे होश उड़ गए। मेरे ऊपर जैसे आसमान टूट पड़ा। मैं ये देखकर कांप उठी थी कि तारा की शक्ल हुबहू मुझसे मिलती थी। हैरानी की बात ये थी कि तारा देखने में काफ़ी हद तक मुझ जैसी थी। वही आंखे, वही होठ, वैसा ही रंग-रूप और वैसे ही बाल! उसे देखकर मुझे लग रहा था मानो मैं अपनी ही सूरत किसी ऐसे करामाती आईने में देख रही थी, जो हमें अपनी ऐतिहासिक छबि दिखाता था।
अगर आज उस लड़की की जगह मैंने वहीं कपड़े पहने होते जो उसने पहने है तो मैं भी उसी की तरह लगती। और कोई भी धोखा खा जाता कि मैं ही राजकुमारी तारा हूं। मगर ये कैसे मुमकिन हो सकता था?! क्या ये कोई भ्रम है या कोई सपना?! या फिर नैना का रचा कोई छलावा?!
मैं समझ नहीं पा रही थी कि ये सब मेरे साथ क्या हो रहा था?! क्यों हो रहा था?! क्या तारा और मेरा एक जैसा होना ही मेरे साथ घट रही इन सभी अजीब घटनाओं का कारण था.?! क्या ये मेरे पिछले जन्म की यादें थी?! क्या मैंने पिछले जन्म में नैना को मार... नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सकता था! क्योंकि मैं कभी किसी को मार नहीं सकती! लेकीन अगर मैं ही राजकुमारी तारा हुई तो..?!
राजकुमारी तारा के उजागर होते ही उसे लेकर मेरे मन में उठ रहे इन ढेरों सवाल से मैं गहरे असमंज में थी। मेरे पास सवाल तो कई थे। लेकिन जवाब एक भी नहीं और नाही कोई जवाब देने वाला। ऐसे में मेरे दिमाग़ में उथलपुथल मचाते इन गंभीर सवालों के साथ मैं वहीं जमी रह गई। मगर तब एकाएक पलक झपकते ही वो शैतान निर्दय राजकुमारी मेरे सामने थी।
तारा की क्रूर आकृति अपने सामने पाते ही, "आई? बाबा? मला वाचवा!" दबी हुई सी चीख मेरे होठों से निकल गई, जिसे मैंने अपनी हाथों से दबा दिया।
अपनी ही बहेन को मौत के घाट उतारकर तारा पेहले ही अपनी हैवानियत का सबूत दे चुकी थी। मगर क़रीब से देखने के बाद वो और भी ज़्यादा वहशी और भयानक लग रही थी। जिसे क़रीब आते देख मैं बहोत ज़्यादा डर गई और डर के मारे मेरे हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया।
मेरे क़रीब आते ही तारा अचानक अपनी तलवार उठाए मुझ पर झपट पड़ी। मगर परमात्मा की कृपा से काफ़ी कोशिश के बाद मैं अपने पैर हिलाते हुए पीछे सरक गई। और उसका वार खाली चला गया। मगर तारा एक वार में नहीं रुकी। पेहला वार खाली जाते ही वो दुगने जोश और गुस्से के साथ मुझ पर तलवार लिए फिर टूट पड़ी। इस सिलसिले में अपने पैर पीछे खींचते हुए मैं गलियारे तक जा पहुंची और घबराहट में चक्कर आते ही मैं गलियारे के कठहरे से नीचे गिर पड़ी।
चक्कर आने की वजह से मुझ पर गहरी बेहोशी छा गई। मैं तेज़ी से नीचे गिर रही थी। मुझे लगा जैसे अब मेरा अंतिम समय आ गया है। मगर तभी अचानक मैंने किसी की मज़बूत बाहों को अपने इर्दगिर्द लिपटा महसूस किया। जैसे किसी ने मुझे अपनी बांहों में थामकर मुझे गिरने से बचा लिया हो। उसके बाद उसी ने अपनी बांहों में उठाकर मुझे सुरक्षित जगह पहुंचाया और मेरी देखभाल की। मगर बेहोश होने के कारण मैं उसका चेहरा तक नहीं देख पाई। यहां तक कि उसे शुक्रियां तक नहीं कहे पाई।
क्रमश:
•×•×•×•×•×•×וווווו
क्या था वो राज़ पलक के इन विज़न का?
क्या पलक इस कश्मकश से बाहर आ पाएगी?
कैसे बचाएगा चंद्र पलक को उस खतरे से जो घात लगाए बैठा है किसी अंजान शक्ल में?
ווווו×ווווו×
उम्मीद करती हूं कि आपको ये भाग पसंद आया होगा। अपना प्यार, कॉमेंट और लाइक इस कहानी पर ज़रूर बरसाए। मुझे आपके फीडबैक देखकर आगे लिखने का उत्साह मिलेगा। अगला भाग 25 नवंबर 2022 को प्रकाशित किया जाएगा। तब तक सब्र रखें और साथ ही मेरी लेटेस्ट नोवेला ' My Dance Partner ' ज़रूर पढ़ें। मेरी चारों नोवेल्स एमेजॉन पर अवेलेबल है। जिसकी लिंक आपको मेरे प्रोफाईल डिस्क्रिप्शन में मिल जायेगी।
अगली बार तक के लिए टेक कैर! सायोनारा...! 👋🏻💖
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Special Thanks to my dear Wattpad friends @mylovemykanha KRUPABAJADEJA AkhaykumarMallik Anuradhatiwari46 shruti20moon Divz_S whose support and encouragement keep me writing more and completing this story..!
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