Chapter 21 - Chandra (part 3)

हेल्लो दोस्तों, सबसे पेहले देरी के लिए मैं आप सबसे माफ़ी चाहती हूं । हर बार की तरह समय की कमी होने के बावज भी मैंने दिल लगाकर इस चैप्टर को लिखा है ।  लेकिन इसके बावजूद भी अगर कोई कमी हो तो प्लीज़ संभल लीजिएगा । और अपने कमाल के एक्स्पीरियंस इस चैप्टर के कॉमेंट बॉक्स में साझा करिएगा। मेरे लिए आपके वोट और कॉमेंट हमेशा कीमती रहेंगे।
पकी, बि. तळेकर ♥️

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कहानी अब तक: अगर पलक उसका नाम पुकार लेती तो वो समझ जाती कि पलक उसकी मौजूदगी से वाक़िफ है । और फ़िर वो खुलेआम पलक के सामने आकर उसे नुक़सान पहुंचाती । जो मैं.. हरगिज़ नहीं होने दे सकता था ।
"और तुम ?" पलक ने मेरी आंखों में गहराई तक झांकते हुए, "मैं जानती हूं । आज भी तुम्हें वही तकलीफ़ होती है, जो तुमने कई सालों पेहले मेहसूस की थी । तुम भी अपने परिवार से बहोत प्यार करते हो ।" बिल्कुल धीमी आवाज़ में, "उनसे दूर होने का दर्द आज भी तुम्हारे मन को जला रहा है । लेकिन, सिर्फ़ एक बार अपने आई-बाबा के लिए ख़ुदको इस तकलीफ़ से आज़ाद कर दो । मैं तुम्हें.. इस तरह परेशान नहीं देख सकती ।" यक़ीन के साथ कहा ।

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अब आगे...


पलक की वो बाते, उसकी वो कानों में घुलने वाली मीठी सी आवाज़ मेरे मन को गहराई तक छू गईपलक वो पेहली लड़की थी, जिसने मेरे जज़्बात को इतनी अच्छी तरह समझा था । और पलक वो पहली इंसान थी जो पूरे हक़ के साथ मुझसे नज़रें मिलाकर बिना डरे बात कर सकती थी । लेकिन, मैं... सिवाय उसकी उन गहरी कशिश भरी आंखों में देखने के और कुछ नहीं कहे पाया ।
"शायद, हो सकता है । मगर फ़िर भी मैं कोशिश करूंगा ।" कुछ पलों बाद अचानक अपनेआप से घबराकर मुंह मोड़ते ही, "लेकिन, पारलौकिक दुनिया में जो चीज़ जितनी आसान लगती है उतनी होती नहीं । फिजिकल वर्ल्ड चीजों और इंसानों के अस्तित्व पर टिका होता है जबकि, एस्ट्रो वर्ल्ड सिर्फ़ परछाइयों और सायों से रचा होता है, जो सिर्फ़ किसी आत्मा की सोच से पलक झपकते ही बदल सकता है । और इसी वजह से आत्माएं इंसानी दिमाग से खेल सकती है ।" मैंने गंभीरता से चेतावनी देते हुए कहा ।
तभी अचानक हमने आर्या के शरीर में हलचल देखी । उसे ठंड लग रही थी । और वो बेहोशी की हालत में ठिठुर रहा था ।
आर्या को ठंड से ठिठुरते देख, "मैं आर्या के लिए कंबल ले आती हूं ।" पलक ने कहा और वहां पड़े कुछ बर्तनों को उठाते ही वो किचन से होकर लौटते हुए अपने कमरे में गई ।
पलक को गए लगभग 10 मिनिट बित चुके थे । उसे वापस लौटने में कुछ ज़्यादा ही समय लग रहा था । इस लिए मुझे उसकी फ़िक्र हुई और मैं उसे देखने उसके कमरे में जा पहुंचा ।
उसके कमरे तक पहुंचते ही, "चंद्र..!" पलक परेशानी में मुझे पुकारती हुई बाहर चली आई । लेकिन मेरे पूछने पर उसने कुछ नहीं बताया ।
वापस हॉल में आते ही पलक ने आर्या को कंबल ओढ़ाया और ख़ुद भी चद्दर ओढ़कर दूसरे सोफ़ा पर बैठ गई ।
"तो वाणी का क्या हुआ, चंद्र ?" पलक ने कहानी की ओर मुड़ते हुए सवाल किया ।
पलक के सवाल के जवाब में, "तरंग ने कहा कि इस बार वो ख़ुद उस जगह जाने की कोशिश करेगा जहां वाणी फंसी है । और उस समय वो अपना मोबाईल फोन भी अपने साथ ले जाएगा, जिसमें GPS सिस्टम मौजूद है । इस तरह वो नक्शा देखकर घर लौटने का रास्ता ढूंढ पाएंगे । 'मेरे ख़्याल से ये करना काफ़ी फायदेमंद साबित होगा । इस बार मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी ताकि तुम्हें किसी तरह की अड़चन ना हो ।' पूर्वा ने तरंग से सेहमत होकर उतावलेपन में कहा । 'नहीं पूर्वा, तुम नहीं आ सकती । क्योंकि अगर मेरा अंदाजा गलत निकला तो हम सब मुसीबत में पड़ सकते है। हम भी वाणी की तरह हमेशा के लिए वहीं क़ैद हो सकते हैं । और वैसे भी तुम्हारी ज़रूरत मुझे यहां पर है । अपने बचपन की तरह आज भी तुम्हें उसी जगह जाना होगा जहां तुम अपनी दीदी के साथ जाती थी । तुम्हें अपने उसी पुराने घर जाकर अपने मोबाईल फोन के ज़रिए हमें यहां इस घर तक लौटने का रास्ता दिखाना होगा ।' तरंग ने पूर्वा को समझाते हुए कहा । और अगले दिन वो सभी लोग फ़िर एक बार वाणी के घर पहुंचे । पूर्वा के कहे मुताबिक़ वाणी के मां-पापा को किसी ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ा । और वो शाम को लौटने वाले थे । इसलिए उन्हें परेशान करने वाला कोई नहीं था । पूर्वा अपने पुराने घर पहुंचकर तरंग के मैसेज का इंतजार कर रही थी । वहीं तरंग वाणी के पास बैठकर दूसरी दुनियां में जाने के लिए ख़ुदको तैयार कर रहा था । मगर अफ़सोस इस बात का था कि तरंग अब तक एस्ट्रो ट्रावेल करना नहीं सीख पाया था । वो काफ़ी समय तक वाणी का हाथ अपने हाथों में लिए ध्यान लगाकर बैठा रहा । लेकिन कुछ नहीं हो पाया । जिससे वो काफ़ी परेशान हो गया था । 'ये तुमसे नहीं हो पाएगा । मैं जानता हूं, तुम्हें दूसरी दुनियां में कैसे लाना है ।' अधिर होकर तरंग के साथ घूम रही उसके भाई की रूह ने चिड़ते हुए कहा । उसकी बात सुनते ही, 'क्या करने वाले हो तुम ?' हैरानी में तरंग ने सवाल किया । 'जो भी करूंगा उससे तुम यक़ीनन दूसरी दुनियां में चले आओगे । तुम सिर्फ़ ये बताओ कि तुम राज़ी हो ?' उस रूह ने रहस्यमय तरीक़े से अपनी खौफ़जदा लाल डरावनी आंखों से तरंग की ओर घूरते हुए सवाल किया । और मौ़के की नज़ाकत को समझते हुए तरंग ने मजबूरी में अपना सर हिलाकर हामी भर दी ।" कहते हुए मैंने कहानी को जारी रखा ।

तरंग का रूहानी भाई • दूसरी दुनियां • पूर्वा और तरंग

पर तभी अचानक, "उसने तरंग के साथ क्या किया ?!" पलक ने परेशान होकर सवाल किया ।
शायद पलक को ये आभास हो चुका था कि तरंग के साथ कुछ होने वाला था । और वो उसे लेकर काफ़ी परेशान थी ।
तब पलक की तरफ़ मुड़कर देखते ही वो थोड़ी शांत हो गई । "..तरंग की सहमति पाते ही उस रूह ने तरंग के सेलफोन की ओर देखा, जो उसकी जीन्स की पॉकेट में था । उसी पल मैसेज सेंड होने की आवाज़ सुनाई दी । और तरंग ने हैरान होकर अपने मोबाइल की ओर देखा । ठीक उसी वक़्त अचानक वाणी के कमरे में रखा एक फ्लॉवरपोर्ट तरंग के पीछे से उड़कर उसकी ओर आया और ज़ोर से उसके सर से जा टकराया । उसके कुछ देर बाद जब तरंग को होश आया तो वो ज़मीन पर लेटा था और उसने अपने आगे एक लड़के को खड़ा पाया, जिसका हूलिया बिल्कुल वैसा ही था जैसा पूर्वा ने बताया था, सिवाय उसकी उन फ़िकी स्लेटी रंग की आंखो के, जो अपना रंग बदल लेती थी । उसे देखते ही, 'तुम पागल हो क्या !? इतना ज़ोर से भी कोई मारता है ! मुझे लगा ही था । इससे कोई फ़ायदा नहीं होने वाला ।' तरंग ने चिड़ते हुए कहा । और झुंझलाहट में खड़ा हो गया । लेकिन जैसे ही वो खड़ा हुआ वो अपने सामने का नज़ारा देखकर दंग रहे गया । उस रूह की वजह से तरंग दूसरी दुनियां में पहुंच चुका था । वो दोनों उसी वक़्त और उसी जगह पर पहुंच गए थे, जो उन्होंने तस्वीर में देखी थी । 'हमारे पास समय बहोत कम है । हमें वाणी को तुरंत ढूंढ़ना चाहिए । वरना वो चुड़ैल उसे वापस नहीं लौटने देगी ।' तरंग के भाई ने अपनी सख़्त आवाज़ में गंभीरता से कहा । और अगले ही पल वो दोनों वाणी को ढूंढ़ने निकल पड़े । दूसरी तरफ़ पूर्वा अपने पुराने घर से वाणी के घर आने वाले रास्ते पर चलना शुरू कर चुकी थी और जिसका लाइव GPS नेविगेशन तरंग के फ़ोन में दिखाई देने लगा था । कुछ देर की कोशिश के बाद आख़िरकार तरंग और उसके भाई को वाणी मिल गई । मगर तरंग के भाई को देखकर वाणी काफ़ी डरी हुई थी । इसलिए उन्हें दूर से ही देखकर वो उनसे बचकर छिपती रही थी । वाणी कई सालों से पारलौकिक दुनिया में फंसी थी । और इतने सालों में उसने पारलौकिक शक्तियों के कई डरावने रूप को देख लिया था । वो इन मायावी शक्तियों के छलावे और उनके दिमागी खेल से अच्छी तरह वाकिफ थी । इसलिए उसे यहीं लग रहा था कि वो दोनों भी उसके लिए ख़तरा है । 'तुम यहीं रुको । मैं उसे समझाता हूं ।' तरंग ने अपने भाई को दूर रूकने को कहा । और वाणी के पास पहुंचा । वाणी उसे अपने पास आता देखते ही उससे दूर भागने लगी । मगर तभी तरंग के मुंह से पूर्वा का नाम सुनकर वो तरंग के पास वापस लौट आई । तरंग ने वाणी को उसके और पूर्वा के बारे में सारी बातें बताई । जिससे वाणी को उस पर यक़ीन हो गया । 'मैं समझ गई कि तुम वाणी के दोस्त हो और मुझे बचाने आए हो । लेकिन, वो कौन है ?' वाणी ने तरंग के भाई के बारे में सवाल उठाया । 'वो एक बहोत लंबी कहानी है । मैं आपको बाद में बताऊंगा । लेकिन इस समय हमारा यहां से निकलना ज़्यादा ज़रूरी है । यहां बहोत ख़तरा है ।' तरंग ने वाणी को सारी हकीक़त बताते हुए कहा । और वाणी कतराते हुए ही सही मगर उनके साथ जाने के लिए राज़ी हो गई । लेकिन उसी वक़्त वाणी के पीछे पड़ी उस औरत की भयानक रूह ने उन पर हमला कर दिया । वो तरंग और उसके भाई को दूर भगाकर वाणी को अपने साथ ले जाना चाहती थी । लेकिन तरंग और उसके भाई ने एक साथ मिलाकर लड़ते हुए उसे वाणी से दूर किया । और वो तीनों तुरंत वहां से निकल पड़े । उनके आसपास 5-6 साल पुरानी इमारतें और दीवारें खड़ी थी । लेकिन उन्हें आज के समय के रास्ते के मुतबिक़ आगे बढ़ना था । जो बहोत मुश्किल था । क्यूंकि बीते समय के मुताबिक़ वहां पार्क और दूसरी इमारतों की हदे फैली थी । और जिस जगह रास्ता नज़र आ रहा था वो उन्हें वहां नहीं पहुंचा सकता था, जहां वो जाना चाहते थे । ऐसे में पूर्वा के बताए रास्ते को फ़ॉलो करते हुए उनके सामने दीवार आ गई । 'अब क्या करें !?' वाणी ने परेशान होकर कहा । 'हम रास्ता नहीं बदल सकते । हमें यही से आगे बढ़ना होगा । हमें इस दीवार को तोड़ना होगा ।' तरंग ने सोच-समझकर ज़ल्दबाज़ी में कहा । और तभी अचानक तरंग के भाई की आंखें गहरे लाल रंग में डरावने ढंग से चमक उठी और उसके हाथों से इशारा करते ही उनके सामने आई दीवार चकनाचूर होकर बिखर गई । और वो तुरंत आगे बढ़ गए । लेकिन उनके ऊपर मंडरा रहा खतरा अभी भी टला नहीं था । वो शैतानी आत्मा अभी भी उनके पीछे पड़ी थी । मगर अपने सामने आई हर दीवार को तोड़कर वो पूर्वा के ज़रिए दिखाएं रास्ते पर चलते रहे । और काफ़ी आगे तक निकल आए । इसी तरह सूझ-बूझ और समझदरी से आगे बढ़ते हुए वो अपनी मंज़िल के बिल्कुल क़रीब पहुंच गए । मगर तभी अचानक उस काली चुड़ैल की माया ने वाणी को जकड़ लिया । इसके अगले ही पल उसने तरंग और उसके भाई पर भी हमला कर दिया । उसी वक़्त उस शैतानी आत्मा से लड़ते हुए तरंग के भाई ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया । उसके उठाए तूफ़ान से एक पल के लिए उस काली आत्मा का ध्यान वाणी पर से हट गया । ठीक उसी दौरान तरंग के भाई ने अपनी शक्तियों से वाणी को उस भयानक आत्मा के चुंगल से निकल लिया । उसी पल वो आत्मा तूफ़ान को चीरते हुए आगे चली आई । लेकिन इससे पेहले कि वो वाणी तक पहुंच पाती तरंग और उसका भाई उसके सामने चले आए । 'हम इसे रोकते हैं । तुम जल्दी यहां से चली जाओ ।' तरंग के भाई ने बहोत मुश्किल से उस काली आत्मा को रोकते हुए अपनी भारी आवाज़ में कहा । उसी वक़्त तरंग ने 'ये लो । जल्दी यहां से निकलो। इसमें नक्शे पर दिख रही इस नीली लकीर को फ़ॉलो करती रेहना । तुम अपने घर के बहोत करीब हो ।' अपना मोबाईल फोन वाणी को देते हुए कहा । 'लेकिन तुम लोग ?!' मगर वाणी को उनकी फ़िक्र थी । 'मैंने आगे का नक्शा याद कर लिया है । तुम्हारे जाते ही हम भी वापस आ जाएंगे ।' तरंग ने वाणी को दिलासा देते हुए कहा और फ़िर से उस भयानक आत्मा को रोकने में जुट गया । तब तरंग की बात मानकर मौक़ा पाते ही वाणी तेज़ी से आगे बढ़ गई । मगर तरंग अब भी अपने भाई के साथ मिलकर उस काली चुड़ैल से लड़ रहा था । वहीं दूसरी तरफ़ पूर्वा अपने पुराने घर से वाणी के घर तक जा पहुंची । और तरंग को वाणी के पास बेहोश पड़ा देखकर वो काफ़ी घबरा गई । तरंग वाणी के बिस्तर के पास कुर्सी में बेहोश पड़ा था । उसने वाणी के हाथ को कसकर पकड़े रखा था । लेकिन उसके सर से लगातार खून बेह रहा था । जिसे देखकर पूर्वा बहोत ज़्यादा घबरा गई । उसने सावधानी से तरंग को सीधा खुर्शी में बिठाया और उसके ज़ख्म को साफ़ कर पट्टी बांधी । तभी अचानक वाणी ने बिस्तर पर लेटे हुए अपनी आंखें खोलकर पूर्वा की ओर देखा । पूर्वा अपनी बहेन को ठीक होता देखकर बहोत ख़ुश हुई । मगर तभी अचानक तरंग की हालत और बिगड़ने लगी । उसके शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी अपनेआप घाव बनने लगे । तरंग बेहोशी में झटपटा रहा था और उसके शरीर से लगातार खून बेह रहा था ।" पलक के पूछे सवाल का जवाब देते हुए मैंने कहानी को आगे जारी रखा । वहीं पलक हर बार की तरह मेरे कहे उन शब्दों को पूरे ध्यान से अपनी डायरी में सहेजती रही ।
एक पल के लिए मुझे ख़ामोश पाते ही, "फ़िर क्या हुआ, चंद्र ? आगे क्या हुआ प्लीज़ बताओ ना ।" पलक ने मेरी तरफ़ देखते हुए प्यार से गुज़ारिश की ।
और एक पल के लिए गहरी सोच के साथ पलक की ओर देखते हुए, "तब तरंग की हालत बिगड़ी हुई देखते ही, 'शायद मुझे उनकी मदद के लिए वहां जाना होगा ।' पूर्वा ने परेशान होकर कहा और जल्दबाजी में तरंग का हाथ थामे उसके पास जाने के लिए तैयार हो गई । मगर वाणी ने, 'नहीं, पूर्वा । तुम वहां नहीं जा सकती । वो बहोत ख़तरनाक है । अगर तुम वहां गई तो वो तुम्हें मार देगी ।' उसे वहां जाने से रोक लिया । 'लेकिन मैं यहां बैठकर उसे मरता नहीं देख सकती । उसने हमारे लिए ये रिस्क उठाया था । और मैं उसे मरने नहीं दूंगी ।' पूर्वा ने परेशान होकर कहा । 'मैं तुम्हारे जज़्बात समझती हूं । लेकिन हमें यहीं रेहकर उसकी मदद करनी होगी ।' वाणी ने पूर्वा को शांत करते हुए समझाया । मगर, 'वो कैसे ?!' पूर्वा वाणी की बात नहीं समझ पाई । तब वाणी ने, 'उन तक हथियार पहुंचा कर ।' अपनी बात समझाते हुए दृढ़ता से कहा । इतना सुनते ही पूर्वा सब समझ गई । और उसने तेज़ी से वाणी के बिस्तर पर उसके गद्दे के नीचे छुपकर रखा छोटा सा त्रिशूल निकल लिया, जो वो काल भैरव मंदिर से अपनी बहेन की रक्षा के लिए लाई थी । उस त्रिशूल के मिलते ही पूर्वा तेज़ी से तरंग के पास पहुंची और उसने उस त्रिशूल को सावधानी से तरंग के हाथ में पकड़ा दिया । दूसरी तरफ़ तरंग और उसका रूहानी भाई उस भयानक आत्मा से लड़ रहे थे । तरंग का भाई बार बार उस काली चुड़ैल की आत्मा को अपनी शक्तियों से बांध रहा था । मगर वो आत्मा कुछ ही देर में आज़ाद होकर फ़िर से उन पर हमला कर देती । इस दौरान अचानक तरंग के हाथ में एक पवित्र त्रिशूल प्रगट हो गया । तब जैसे ही तरंग के भाई ने अपनी शक्तियों से उस भयानक आत्मा पर वार किया वैसे ही तरंग ने मौक़ा देखकर उस त्रिशूल को उस आत्मा के गले में घुसा दिया । और अगले ही पल वो शैतानी आत्मा काला धूंआ बनकर आसमान में गुम हो गई । उसके बाद वो दोनों तुरंत वापस आने के लिए मुड़ गए । यहां पूर्वा ने देखा कि तरंग के हाथ में त्रिशूल देने के कुछ समय बाद उसका झटपटाना बंध हो गया । वो शांत हो गया । जिसे देखकर पूर्वा को थोड़ी तसल्ली मिली । लेकिन कुछ ही मिनटों बाद अचानक तरंग खूर्शी पर बैठे हुए फ़िर झटपटाने लगा । उसकी सांसें असामान्य होने लगी । और शरीर पानी-पानी होने लगा । 'ये क्या हो रहा है ? क्या वो पवित्र त्रिशूल भी उस आत्मा को मुक्ति नहीं दिला पाया ?!' वाणी ने तरंग की हालत बिगड़ते देख चौंकते हुए कहा । 'नहीं, मैं जानती हूं ये कौन कर रहा है । हमें उसे रोकने का तरीक़ा खोजना होगा । वो भी अभी ।' पूर्वा ने तरंग की ओर फिक्रमंद नज़रों से देखते हुए गहरी सोच के साथ कहा ।" मैंने कहानी को आगे बढ़ाया ।
"क्या तरंग के भाई ने... बताओ ना, चंद्र ?" पलक ने आगे की घटना का अनुमान लगाते हुए तंग दिल से कहा ।
नहीं पलक, इतनी जज़्बाती मत हो । ये तुम्हारे लिए ठीक नहीं है । तुम नेक दिल और मासूम हो । तुम्हारा मन बहोत कोमल है । तुम कभी किसी को तकलीफ़ में नहीं देख सकती । क्या तुम इस छलावे से भरी बेरहम दुनिया की भयानक सच्चाई सेह पाओगी ?

काली चुडैल • पूर्वा और वाणी • दूसरी दुनियां

"हां, तुम्हारा अंदाज़ा सही है ।" पलक की ओर मुड़ते ही मैंने सरलता से कहा । "कुछ देर बाद तरंग को फ़िर तड़पता देखकर पूर्वा जान गई कि इसके पीछे उसी ख़तरनाक रूह का हाथ हो सकता है, जो हमेशा तरंग के साथ घूमता रहा है । और फ़िर उसने सारी बातें अपनी बहेन को बताई । वहीं दूसरी ओर पारलौकिक दूनिया में जैसे ही तरंग और उसका भाई घर के क़रीब पहुंचे वैसे ही अचानक तरंग के भाई ने उसका हाथ जकड़ लिया और उसे जाने से रोक दिया । 'ये क्या कर रहे हो !? इससे पेहले कि कोई बदमाश आत्मा हमें ढूंढ़े और हमारे पीछे पड़ जाए हमें यहां से वापस लौटना होगा ।' तरंग ने अपने भाई की रूह की आंखों में छुपे आक्रोश को भांपकर घबराते हुए कहा । तरंग ने उस रूह की भयानक लाल रंग की जलती हुई आंखों में आनेवाले भयानक मंज़र को देख लिया था । वो समझ चुका था कि उसी के भाई की रूह अब फ़िर से उसकी दुश्मन बन चुकी है । 'हां, यहां से लौटना ज़रूरी है । मगर यहां से लौटूंगा सिर्फ़ मैं ।' उस रूह ने अपना असली रंग दिखा दिया था । और इतना कहते ही उसने तरंग का हाथ ज़ोरदार ढंग से खींचकर उसे उठाकर घुमाते हुए पीछे ज़मीन पर पटक दिया । 'ये तुम क्या कर रहे हो ?!' तरंग ने उठने की बेकार कोशिश करते हुए कहना चाहा । 'क्यों इतनी जल्दी अपना वादा भूल गए ?' लेकिन उसने आवेश में आकर तरंग को अपनी शक्तियों से जकड़ लिया । 'हां, मुझे याद है । लेकिन तुम मुझे मारना क्यों चाहते हो ?' तरंग के परेशानी में किए इस सवाल के जवाब में, 'क्योंकि तुम्हारे मरे बग़ैर मुझे तुम्हारे शरीर पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं मिल सकता । एक ना एक दिन तो तुझे मरना ही है । तो मैं इंतजार क्यों करूं । तुम्हारे इस शरीर की जवानी ढलने की रहा क्यों देखूं । इससे तो अच्छा है कि तुम अपना वादा अभी पूरा करो । वैसे भी थोड़ी ही देर में तुम्हारा शरीर तुम्हारा साथ छोड़ने वाला है ।' उस रूह ने तरंग के क़रीब जाकर फूंफकारते हुए कहा । 'इसका मतलब तुमने सब जानबूझकर किया!?' अपने रूहानी भाई की नफ़रत भरी बातें सुनकर तरंग शत्ते में आ गया । 'तुम्हारी वजह से तुम्हारे साथ पैदा होने के बावजूद मुझे ज़िंदगी नहीं मिल पाई । जुड़वा भाई होने के बाद भी मुझे एक स्वस्थ शरीर नहीं मिल पाया । ज़िंदगी मिलने से पेहले ही मौत ने मेरा सब कुछ छीन लिया । इंसानी जन्म मिलने के बाद भी मुझे प्रेत बनकर तुम्हारे शरीर के सहारे रहना पड़ा । तुम्हारी वजह से एक इंसान की बजाय मैं एक परजीवी बनकर रेह गया । जो दूसरों के रहमों-करम पर जीता है । लेकिन... आज के बाद नहीं ।' उस रूह ने प्रचंड रोष के साथ कहा । और तरंग को उठाकर फ़िर पटक दिया । लड़खड़ाते हुए खड़े होकर, 'मुझे लगा था शायद पूर्वा ग़लत है । तुम एक अच्छी रूह हो । तुम सिर्फ़ हम से नाराज़ हो । और जब तुम्हारी नाराज़गी ख़त्म हो जाएगी तो तुम हमें माफ़ कर दोगे । ये ज़िद छोड़ दोगे । लेकिन मैं ही बेवकूफ़ था, जो तुम पर भरोसा कर बैठा ।' तरंग ने दर्द से कराहते हुए कहा । 'हां, तुम बेवकूफ़ हो । लेकिन उससे भी ज़्यादा मेरे गुनेगार हो ।' तरंग की बात पर उस भयानक रूह ने गुस्से में कहा । 'तुम्हारी ज़िंदगी मेरी कर्ज़दार है । और अब उस कर्ज़ को चुकाने का समय आ चुका है ।' और उस पर टूट पड़ा । वो रूह लगातार तरंग पर हमला करने लगा और अब तरंग के पास भी अपने बचाव में उस पर हमला करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा । तरंग उस रूह के सामने अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था । यहां तक कि तरंग ने उस पवित्र त्रिशूल से भी उस रूह पर हमला किया । मगर वो रूह बहोत ताक़तवर थी । इस लिए वो पवित्र त्रिशूल भी उसे सिर्फ़ छोटे-मोटे घाव पहुंचने के सिवा कुछ नहीं कर पाया । वहीं दूसरी तरफ़ पूर्वा तरंग की बिगड़ती हालत देखकर बहोत घबराई हुई थी । 'वो उस पवित्र त्रिशूल का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहा ?!' पूर्वा ने तरंग की लगातार बिगड़ती हालत को देखकर परेशान होकर कहा । 'शायद वो रूह बहोत ताक़तवर है । हमें उसे रोकने के लिए कोई दूसरा रास्ता ढूंढ़ना होगा । मेरा अंदाज़ा सही था । तरंग के साथ पैदा होने के कारण वो बाकी आत्माओं से ज़्यादा शक्तिशाली है । क्यूंकि उसे एक ज़िंदा शरीर से ताक़त मिल रही है । इसलिए उसे ख़त्म करने के लिए हमें पेहले उन दोनों के बीच के बंधन को ढूंढ़ना होगा ।' वाणी ने पूर्वा की बात पर गौर करते हुए गहरी सोच के साथ कहा । 'क्या मतलब है आपका ?!' पूर्वा वाणी की बात से हैरान थी । वो उसकी बात नहीं समझ पाई । 'मतलब ये कि वो रूह और तरंग को कोई ख़ास चीज़ जोड़े हुई है । और उस रूह को ख़त्म करने के लिए हमें उन्हें साथ जोड़ रही उस कड़ी पर वार करना होगा ।' वाणी ने अपनी बात समझाते हुए कहा । और उसके बाद पूर्वा ने तरंग की हर बातों पर गौर किया । इसी बीच अचानक उसे एक ख़्याल आया और उसने इस उलझन का जवाब इंटरनेट के ज़रिए अपने लैपटॉप पर ढूंढ़ना शुरू किया । लेकिन तरंग से जुड़ी ऐसी कोई चीज़ नहीं थी जो उन चीजों से मेल खाती थी । समय तेज़ी से बहता जा रहा था और गुजरती हुई हर घड़ी तरंग के लिए भारी होती जा रही थी । पूर्वा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी कौनसी कड़ी है, जो उन दोनों को जोड़ सकती थी !? और तब तरंग से पेहली बार मिलने से लेकर अब तक सारी बातें अपने ज़हेन में दोहराते ही पूर्वा को एक बात का ऐहसास हुआ । उसे इस बात का एहसास हुआ कि वो दोनों जुड़वा पैदा हुए थे । जिस वजह से उन दोनों को जोड़े रखने के लिए किसी भी दूसरी चीज़ की ज़रूरत नहीं थी । और इसी वजह को ध्यान में रखते हुए पूर्वा ने जुड़वा बच्चों के बीच के बंधन को ढूंढ़ना शुरू किया । अपनी ख़ोज के बीच पूर्वा ने कहा । 'शायद मुझे पता चल गया है कि उस रूह को कैसे ख़त्म करना है ।' और वाणी के अनपूछे सवाल का जवाब देते हुए, 'वो दोनों साथ पैदा हुए थे । इसलिए वो दोनों भी उसी तरह जुड़े हैं जैसे एक बच्चा अपनी मां से जुड़ा होता है । उस रूह को ख़त्म करने के लिए कहीं और नहीं बल्कि तरंग को उनकी नाभि पर वार करना होगा ।' पूर्वा ने गंभीरता से कहा । 'लेकिन हम तरंग को आगाह कैसे करे ?!' वाणी इस बात को लेकर काफ़ी उलझन में पड़ चुकी थी । गहरी सोच के साथ कहते हुए, 'मैं जानती हूं मुझे क्या करना होगा ।' पूर्वा ने तरंग का हाथ अपने हाथों में थाम लिया । वहां पारलौकिक दुनिया में तरंग और उस रूह के बीच अब भी संघर्ष जारी था । तरंग अपनी जान बचाने के लिए उस रूह से जूझ रहा था । 'तुम चाहे जो कर लो । लेकिन आज तुम मुझसे नहीं बच पाओगे ।' उस रूह फ़िर एक बार तरंग को पटकते हुए घमंड के कहा । 'मुझे मार कर भी तुम अपनी तकदीर नहीं बदल पाओगे । आज नहीं तो कल तुम्हें भी उस शरीर को छोड़कर जाना ही होगा ।' तरंग ने अपने कमज़ोर लड़खड़ाते पैरों पर खड़े होते हुए मुश्किल से कहा । तभी अचानक उसने अपने हाथ की हथेली पर कुछ महसूस किया । और उसका एहसास होते ही तरंग हैरान रह गया । मगर वो समझ गया था कि उसे क्या करना है । 'तुम चाहे मुझसे मेरा शरीर छीन लो । लेकिन इसके बावजूद कल भी तुम वही रहोगे जो आज हो एक परजीवी । जस्ट अ पैरासाइट ।' तरंग ने उस को उकसाते हुए ज़हरीली मुस्कान के साथ कहा । और इतना सुनते ही उसके भाई की वो भयानक रूह खुन्नस के साथ तरंग की तरफ़ दौड़ पड़ा । मगर जैसे ही उसने तरंग के क़रीब जाकर उस पर हमला करने के लिए हाथ उठाया ठीक उसी समय तरंग ने पवित्र त्रिशूल को अपनी पूरी ताक़त के साथ उसके पेट के बीच नाभि में घुसा दिया । उस त्रिशूल के उसके पेट में घुसते ही वो रूह दर्द से कर्राह कर नीचे ज़मीन पर गिर पड़ी । उसे ज़मीन पे गिरा देखकर तरंग समझ चुका था कि अब उसका भाई हमेशा के लिए उससे दूर होने वाला था । और उसे इस हाल में देखकर तरंग उससे नफ़रत नहीं कर पाया । वो तेज़ी से उसके पास जा पहुंचा, 'मुझे माफ़ करना भाई । मैं तुम्हारा गुनेहगार हूं । मगर तुम ऐसी घिनौनी ज़िंदगी के हकदार नहीं हो । तुम्हारे अंदर भी नेकी छुपी है । और इसलिए तुम्हें मुक्ति मिलनी चाहिए । शायद तुम्हारे अगले जमन में मैं तुम्हें एक ऐसी ज़िंदगी दे पाऊं जिसके वाकाई में तुम हक़दार हो ।' और भारी मन से कहते हुए उसने अपने भाई का सर अपनी बाहों में उठा लिया । तरंग की इस बात को सुनते ही उसके भाई के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई और अगले ही पल उसकी रूह धुआं बनकर हवा में उड़ गई । अपने भाई को हमेशा के लिए विदा करते ही तरंग अपनी मंज़िल की खोज में चल पड़ा । अगले कुछ ही पलों में तरंग अपनी दुनिया में वापस लौट आया । कुर्सी पर बैठे हुए होश में आते ही तरंग ने पूर्वा और वाणी को अपने पास बैठे देखा । और एक-दूसरे को सही सलामत देखते ही उनके चेहरों पर सुकून भरी मुस्कान आ गई । समय के साथ धीरे-धीरे तरंग की हालत पेहले से बेहतर हो गई । तरंग, पूर्वा और वाणी तीनों अपनी नॉर्मल लाईफ में लौट गए । लेकिन इस घटना ने दुनिया को देखने के उनके नज़रिए को बदल दिया था । आगे चलकर उन्होंने इस तरह के हालातों से ना गुजरना पड़े यही सोचकर उन्होंने फ़िर कभी पारलौकिक दुनिया में न जाने का फ़ैसला लिया । और पारलौकिक दुनिया में जाने की वाणी की ख़ास शक्तियों को बाबा भैरव नाथ के पवित्र धागे से बांध दिया गया । ताकि पिछली बार की तरह ना चाहते हुए भी वो दूर कहीं दूसरी दुनिया में न निकल जाए । इसके कुछ समय बाद तरंग की बहेन सुप्रिया ने एक लड़के को जमन दिया । जो बिल्कुल स्वस्थ था । अब उनकी ज़िंदगी में कोई परेशानी नहीं थी । लेकिन तरंग ख़ुदको अपने भाई का दोषी मानने लगा । जिसका अफ़सोस हमेशा-हमेशा के लिए उसके दिल में खालीपन छोड़ गया । उसके मन में ये उम्मीद कायम रही कि कभी तो उसके भाई का दूसरा जन्म होगा और वो ख़ुद उसके पिता के रूप में उसे वो ज़िंदगी देगा जिसका वो हक़दार था ।" इन्हीं शब्दों के साथ अपनी कहानी का अंत करते हुए मैंने कहा । और धीरे से मुड़कर पलक की ओर देखा ।
कहानी का अंत होने पर भी पलक चुपचाप सर झुकाए अपनी डायरी में लिखती रही । मगर उसकी ख़ूबसूरत आंखों में आसूं भर आए थे । अपने आंसुओ को दूर कर उसने लिखना जारी रखा । मुझे उसे परेशान देखना अच्छा नहीं लग रहा था । मगर हिचकिचाहट के मारे मैं उसे कुछ नहीं केह पाया ।
मैं बस ख़ामोशी से पलक की ओर निहारता रहा । लिखते हुए पलक की आंखें भारी होने लगी । और उसके कुछ ही देर बाद वो वहीं सो गई । पलक के सोते ही मैंने उसे उस दूसरे सोफ़ा पर ठीक से लिटा दिया । अगले ही पल मैंने आहिस्ता से पलक को चद्दर ओढ़ाई।
तभी सोते हुई पलक का मासूम सा चेहरा देखकर अचानक मेरे ज़हन में आज उसके साथ हुए हादसे की तस्वीरें उभर आई। पलक इस समय मेरी नज़रों के सामने चैन की नींद में खोई थी और वो अब महफूज़ थी। मगर इसके बावजूद वो ज़्यादा थकी हुई और परेशान लग रही थी। जिसे महसूस कर मेरे माथे पर भी चिंता की लकीरें दौड़ गई। तब अपनी इसी चिंता में उसे ओढ़ाते ही मैं वहीं पलक और आर्या के सामने कुर्सी पर बैठ गया और इसी तरह एक और पूरी रात मैं उनकी निगरानी करता रहा ।

क्रमश:


तरंग और पूर्वा • काली चुडैल • पूर्वा और वाणी • दूसरी दुनियां और बाहर का दरवाज़ा
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जैसा कि आप देख पा रहे होंगे कि ये चैप्टर पिछले सभी चैप्टर से लंबा और कई रहस्यों समाए हुआ है। इसी तरह आगे आने वाले सभी चैप्टर्स और भी रहस्यमय, अजीबोगरीब और डरावने होने वाले है। कैसा होगा वो खौफ़नाक मंजर जब वो खतरनाक शक्ति पलक के सामने आएगी.?
आने वाला अगला भाग और भी डरावना और दिलचस्प होने वाला है। अगले अपडेट के लिए हमसे जुड़ें रहे और हमें अपने बहुमूल्य अभिप्राय ज़रूर दे। साथ ही अगर आपको ये कहानी पसंद आए तो इस कहानी पर वोट, कमेंट कर मुझे प्रोत्साहन भी ज़रूर दे।
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दिल थाम कर रहिएगा अगला भाग 7 मई 2021 को प्रकशित होगा। ✍🏻

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