Shayari | 09


• 'तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,

दिल मेरा था और धड़क रहा था वो।

प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है,

आंसू मेरे थे और सिसक रहा था वो।'


• 'बदल जाओ वक्त के साथ

या फिर वक्त बदलना सीखो

मजबूरियों को मत कोसो

हर हाल में चलना सीखो'


• 'दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के


वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं

तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के


इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन

देखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के


दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया

तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के


भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'

मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के'


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