मेरा बचपन
मेरा बचपन वापस ला दो
फिर उस दुनिया में पहुँचा दो
जहाँ कहानी सुनाती थी दादी- नानी
जहाँ मम- मम कहलाता था पानी
जहाँ रोज़ था बागों में आना जाना
और वहां से फल चोरी कर लाना
वो घर की दीवारों पर गोदना और लिखना
फिर डांट पड़ने पर माँ के आँचल में छिपना
मेरा बचपन वापस ला दो
फिर उस दुनिया में पहुँचा दो
जहाँ वो मेरा लोगों को मुंह चिढाना
अंत में थक हार के ख़ुद रूठ जाना
और मेरे रूठने पर वो सबका रिझाना
दिन में वो तितलियों को पकड़ना
और रातों को भूतों से डरना
छोटी-छोटी बातों पर दीदी से झगड़ना
और माँ से कहना की मुझे नही पढ़ना
कच्ची ज़बान में वो गुनगुनाना
और लोगों से तारीफें पाना
बड़े भाइयों को नित नए खेल खिलवाना
फिर हार जाने पर रोना - चिल्लाना
मेरा बचपन वापस ला दो
फिर उस दुनिया में पहुँचा दो
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