part-4

7.सनम हमारे हमराज
..................................

सनम उर तेरी दिल्लगी का साज है।
तू मेरी रूह मेरी हमराज है।

जहाँ नजर उठाऊँ तू ही तू सनम,
बड़ा अनौखा ये तेरा अंदाज है।

धरती-आसमां में बस तेरा ही चेहरा नजर,
हर जर्रे-जर्रे में लगता है तेरा ही राज है।

मेरी होती शुरू तुझी से हर कहानी,
तू ही मेरा अंत तू ही मेरा आगाज है।

आसमान मिला है मुझे संग तेरे,
तू ही मेरा घर तू ही मेरा परवाज है।

कैसे समझेगी दुनिया 'कश्यप' के प्यार को,
जब 'कश्यप' खुद में ही एक राज है।

-अरूण कश्यप


8.प्रेम में
.....................

मुझे प्रेम का सफा दे गये हो।
वफा के बदले दगा दे गये हो।

सोचा था बहार ही बहार होगी जिंदगी,
मगर यार तुम तो हमें खिजा दे गये हो।

कहाँ तक सहे सितम आपके ऐ दोस्त,
आप तो सितम का सिलसिला दे गये हो।

जीते जी मार डाला तन्हाँ छोड़कर अकेला,
घुट रहे हर पल घुटनभरा कैसा समा दे गये हो।

मोहब्बत की थी कोई चोरी नहीं की,
तो क्यों ये मुझे जहरेजफा दे गये हो।

किया मैंने प्यार 'कश्यप' जमाने को भूलकर,
लेकिन तुम बदले में दर्द का मरहला दे गये हो।

-अरूण कश्यप

Bạn đang đọc truyện trên: AzTruyen.Top