भाग-8
15.पंद्रह अगस्त
...........................
हिंदुस्तान में निकला आज सूरज बडा मस्त है।
क्योंकि सन् सेंतालिस वाला आज 15 अगस्त है।
भारत भूमि का हरेक बंदा बिना किसी हिचकिचाहट के,
देश पर कुर्बान होने के लिए अभ्यस्त है।
दुश्मन भले ही कितना कद्दावर क्यों ना हो,
हमसे भिढने पर वह पाता सिर्फ शिकस्त है।
सह लेते हैं भूख-प्यास देह को दर्द देकर,
मगर हम भारती होते नहीं कभी पस्त हैं।
याद आ रही है हमें आज वो पावन घड़ी,
जिस दिन से फिरंगी-ए-तख्त अस्त है।
क्या बालक क्या बड़ें क्या बहन और भाई,
'कश्यप' आज के त्यौहार में तो हरेक व्यस्त है।
-अरूण कश्यप
16.बारंबार नमन
...........................
उन जियालों को मेरे हजारों नमन।
माँ के लालों को मेरे हजारों नमन।
जुल्म की आँधियाँ जो मिटाकर बढ़ें,
उन भूचालों को मेरे हजारों नमन।
शौक से जन्म भूमि पर हँसते हुए,
मरने वालों को मेरे हजारों नमन।
देश के वास्ते शीश अपने कटा,
मिटने वालों को मेरे हजारों नमन।
अपनी आजादी को खोजने के लिए,
खोने वालों को मेरे हजारों नमन।
'कश्यप' देश पर फना होने की भावना,
भरने वालों को मेरे हजारों नमन।
-अरूण कश्यप
Bạn đang đọc truyện trên: AzTruyen.Top