भाग-13

(25.) चाँद हो तुम
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मालूम नहीं कि ये शबनम या शरारा है।
इतना सुंदर मुखडा ये किसने उतारा है।

कैसी कशिश है आपके रूखसार मैं दोस्त,
कल तलक हमारा दिल आज  तुम्हारा  है।

तेरे लिए दे दूँगा जान लाखों बार ऐ दोस्त,
ये  मूर्खता  सही  पर  ये  भी  गवारा  है।

इश्क में हुए पागल ऐसे बने हम दिवाने,
जहाँ देखते हैं बस तुम्हारी जुल्फों का नजारा है।

है यकीन खुदा पर कराएगा इक दिन संगम,
जलने दो इस जमाने को हमें उसका सहारा है।

मरने को तो लोग रोज मरते हैं तीर और तलवारों से,
मगर 'कश्यप' हमें तो आज उनकी उल्फत ने मारा है।

-अरूण कश्यप


(26.) मुलाकात हो गई
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सुखद आज उनसे मुलाकात हो गई।
सोचा ना था जो  वो  बात  हो  गई।

करीब आते ही हमारे हम खो गए,
आँखों ही आँखों में फना रात हो गई।

वो क्या मिले मिल गया संसार हमें,
उनकी नजरों से जो हमारी मुलाकात हो गई।

साथ खड़े हो गये हम हाथों में हाथ थामकर,
मंजर देखकर आसमां से भी बरसात हो गई।

जिसके लिए हर एक ही बेताब था बसर,
उनके लिए  वो  बात  खुराफात  हो  गई।

उनके भरोसे क्या जी लिए ऐ 'कश्यप',
जिंदगी सारी गम की  बारात  हो  गई।

-अरूण कश्यप

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